मेघदूत एवं सारिका संदेश का काव्याशास्त्रीय तुलनात्मक अध्ययन | Meghdoot Avam Sarika Sandesh Ka Kavayashastriya Tulnatayamak Adahayan

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Meghdoot Avam Sarika Sandesh Ka Kavayashastriya Tulnatayamak Adahayan by सुमन शुक्ला - Suman Shukla

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डा0 रामसागर त्रिपाठी ने इसके स्वरूप का विश्लेषण करते हृए लिखा हे कि एसा पद्य जो निरपेक्ष रहते हए पूर्ण अर्थ की अभिव्यक्ति मेँ समर्थ हो, जिसका गुंफन अत्यन्त रमणीय हो काव्य के लिए अपेक्षित चमत्कृति इत्यादि विशेषताओं से युक्त हो अपनी काव्यगत विशेषताओं से जो आनन्द देने में समर्थ हो और जिसका परिशीलन ब्रह्मानन्द सहोदर रस चर्वणा के प्रभाव से हृदय की मुक्तावस्था को प्रदान करने वाला हो । इस प्रकार अतिशोभन, आनन्दन, मोक्ष-प्रापण ओर निर्मुक्तकता, ये गुण मुक्तकं में प्रधान होते है । ------ 1 प्रबन्ध एवं मुक्तक में अन्तर - यहाँ यह स्पष्ट कहना आवश्यक प्रतीत होता है कि मेघदूत एवं शारिका सन्देश में कथा तन्तु अत्यन्त क्षीण विरल है। उसमें गीतिकाव्य या मुक्तक के लक्षण अधिक मिलते हँ किन्तु विदत परम्परा मेँ उसे खण्डकाव्य या गीतिकाव्य के अर्न्तगत माना जाता है। अतः मुक्तक एवं प्रबन्ध मेँ अन्तर स्पष्ट कर तदुपरान्त खण्डकाव्य के लक्षणो का निरूपण किया जाएगा। ` प्रबन्ध अथवा कथा इतिवृत्त प्रधान काव्यं में रसोद्रेचन का कार्य अपेक्षाकृत सरल रहता है क्योंकि पाठक क्षीणतर कथातन्तु को भी पकड़े रहता है। मुक्तक पूर्ण स्वतन्त्र रहता है ओर इसी कारण वह रस का आश्रय लेता है। आनन्दवर्धन ने लिखा है - तत्र मुक्तकेषु रस बंधामि निवेशिनः कवेस्तदाश्रयम्‌ (रस बंधाश्रयमृ) औचित्यम्‌ मुक्तकेषु प्रबन्धेष्विव रस बंधाभिनिवेशिनः कवयोः दृश्यन्ते यथा हयमरूकस्य कवेर्मुक्तका ह अंगाररस्यन्दिनः प्रबन्धायमाना: प्रसिद्धा एव। -------- 2 गीतिकाव्य - संस्कृत काव्य भेदों का वर्गीकरण श्रव्य और दृश्य के रूप में कर इसके अन्तर्गत गद्य-पद्य, चम्पू ओर पद्य मे महाकाव्य, स्त्रोत, नीति, गीति ओर मुक्तक काव्यो की चर्चा की गयी है। हमारे | आलोच्य काव्य घटना की विरलता होने पर भी खण्डकाव्य के अन्तर्गत माने गये है । इन्हे गीतिकाव्य भी ` कहा गया है। ২7 . अतः संक्षेप में गीतिकाव्य के स्वरूप उसके उपभेदों की चर्चा अब प्रासंगिक न होगीं। ड0 कपिल देव डिवेदी ने गीतिकाव्यों के स्वरूप का निर्धारण करते हुए लिखा है- “गीतिकाव्य काव्य का वह रूप है जो वाद्यों के साथ संगीतात्मक रूप में गाया जा सकता है। गीतिकाव्य प्रेम, शोक या भक्ति के भावों विचारों या अनुभावों का प्रकाशन है। यह मानव हृदय का स्वाभाविक प्रवाह है। यह हृदयगत भावों का स्वतः सिद्ध प्रकाशन है। यह सामान्य कविता की अपेक्षा अधिक भावनाओं को 1- मुक्तक काव्य परम्परा और बिहारी - 2 2- ध्वन्यालोक




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