हमारे लेखक | Hamare Lekhak
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
314
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गजेन्द्र सिंह गौड-gajendra singh gaur
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)হাতা লবদহ্যবিহ ३३
जयकृष्ण तथा पं० अयोष्यानाथ आादे कई प्रभावशाली व्यक्तियों के सहयोग
से आन्दोलन किया। इसका फल यह हुआ कि सरकार को अपनी नीति में
परिवर्तन करना पड़ा |
राजा साध ग्रत्यन्त परिभमी, अध्यवसायी और लगन के आदमी ये ।
बह एक अच्छे घुड़सबार, साइती और कार्य-कुशल भी ये । লক কমান
में गम्मीरता, उनऊ़े व्यक्तित में उदारता श्रौर उनके रइन-सहन में पद के
अनुकूल मर्यादा थी। राज-भक्त होने पर भी उन्हीने तत्कालीन राष्ट्रीय
समस्याओं को उपेक्षा भाव से नहीं देखा ।
राजा साइब की रचनाएँ
राजा साइब साहित्यप्रमी मी ये । आरम्म में अनुवाद का कार्य
करने से उन्हें इस दिशा में श्रच्छा श्रभ्या हो गयाया ] उनका यदश्रभ्यास
बहुत दिनों तक बना रहा कदाचित् इघी ने उन्हें साहिय-रचना की श्रोर
प्रेरित किया । उन्होंने कोई परसिद्र मौलिक स्वना नही की। उदु, दिन्दी
ओर मराठी में उसकी एक मौलिक रचना ष्वुलन्द शर का दतिदास हे ।
अनुवाद ৯ रूप में ही वह दिन्दी-जगत में अखतिद हैं। 'ताज्ञीरात द्विन्दा का
हिन्दी-अनुवाद 'दड-सप्रह? उनकी प्रसिद्ध रचना है। उनको अन्य अनूदित
रचनाओं में कालिदास कृत 'शबुवला' (०० १६१८), 'रघब्श'(सं> १६१३५)
ओर भेषदृत” (सै० १६३६) का सर्वोच्च स्थान दै। उन्होंने 'रघुबशः का
पहले गयाजुवाद किया या, पर बाद को उसका पयानुवाद भी आरम्भ किया ।
यह कार्य ८ सर्गों तक ही शे पाया যা কি उनका स्पर्भेयास दो गया ।
राजा खाइव की भाषा-नीति ५ व्
राजा सांहम की इन श्रमर कृतियों से उनकी सादित्यिक मता,
उनकी कवित्व-शक्ति, उनके प्राश्डित्य थौर उनकी माया सम्बन्धी मम्नो-
इच्ियों का यथाय॑ परिचय मिल जाता है। सस्कृत के ब्रतिरिक्त बजमापा,
अंगरेजी, फारसी, धरबी, पराइृत, बैंगला तथा शुज़राती आदि के वद् शच्यै
जांनशार थे । हिन्दी-सड़ीबोली की तत्कालीन उमस्पाश्रों पर उन्होंने का
माँति विचार किया था। माया ॐ मरन भर उच्च समप्र उदू' और टद
User Reviews
No Reviews | Add Yours...