आँखे | Aankhen
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
188
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आंखें
आंखें शरीर का ऐसा अंग हैं, जो प्रकृति के साकार रूप को प्रत्यक्ष
में अपने सामने देखती हैं ।
इनका रूप गेंद की तरह गोलाकार है और तीन प्रमुख तरल पदार्थ
विभाजित करते हैं--जिन्हें ह्य.मर कहते है।
नेत्र का बाह्य भाग सख्त होता है, जिसे वेता मंडल कहते है--
अंग्रेजी में स्कले रो टिक ।
* इसी भाग के साथ कानी निका (कौरनिया) मडल जुड़ा हुआ है, जो
पारदर्शक है।
इेता मंडल के पीछे रक्त की नाड़ियों का एक मंडल है, जिसे
कोरायड या रवत मंडल कहते है।
रक्त मंडल से लगा हुआ है छायापट, जौ फिल्म की तरह् वाहरी
प्रकाश को अपने ऊपर लेता है।
कामीनिका मंडल के पीछे कृष्ण मंडल है भौर इसी मंडल में एक
छिद्र है-- जिसे पूतली कहते है ।
कृष्ण मंडल मुख्य रूप से काला होता है, लेकिन कुछ श्वेत त्वचा
वाले व्यवितयों में हूलका नीला दिखाई देता है।
छृप्णःमंडल मौर कोरायड के जीड स्थल पर को मल मांसपेशियां होती
है, जिन्हें सिलियरी मांसपेशियां कहते है--ये कांच से जुड़ी होती हैं।
कृष्ण मंडल के बीच में (एक्युअस ह्यूमर) तरल पदार्थ है, जो
कामीनिका को रूप देता है।
कृष्ण मंडल की पुतली के पीछे दुसरा तरल पदार्थ है, जिसे कांच
कहते हैं। इसका रूप मेगनीफाईग कांच की तरह होता है।
कांच एवं छायापट के वीच में पारदर्शक तरल पदार्थ होता है, जिसे
विद्रयस ह्यम,मर कहते हैं। यह भाग नेत्र के तीन चौथाई भाग को घेरे हुए
है1 इसका रूप अंडे की जरदी के समान होताहै।
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