बात जवाहर लाल की | Baat Javaahar Laal Kii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
62
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इसीलिए आजादी के बाद शासन का नया तरीका
निकाला गया । लोगों को सरकार बनाने और बदलने का
हक दिया गया । 1952 में सारे देश में चुनाव हुआ ।
लोगों ने ऐसे लोगों को चुना जिन पर उनका भरोसा था ।
वह उनके प्रतिनिधि थे। उन लोगों ने अपनी राय से
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री चुने ।
चुनाव हर पांच वर्ष के बाद होते हँ । कभी कभी जल्दी
भी हो जाते हैं । जो लोग ठीक काम नहीं करते चुनाव में हार
जाते हैं । उनकी जगह दूसरे आते हैं | ऐसे लोग प्रतिनिधि
बनते हैं जिन पर जनता को अधिक भरोसा हो । इस तरह
लोग शासन बनाने में भागीदार बनते हैं । राज लोगों का
राज कहलाता है । इसी को जनतंत्र या गणतंत्र कहते हैं ।
5
ताकत जनता के हाथ
लोकतंत्र में शासन वह करता है जिसको लोग चाहें । पुराने
जमाने में शासक लोगों की राय से शासन नहीं करते थे ।
राजा या शासक भगवान का रूप माने जाते थे । उनको लोग
नहीं भगवान शासक बनाता था। ऐसा माना जाता था।
जवाहर लाल ऐसा नहीं मानते थे ।
15
User Reviews
No Reviews | Add Yours...