शास्त्रार्थत्रय कानपुर | Shastrarthatray Kanapur

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Shastrarthatray Kanapur by विष्णुदयाल मिश्र - Vishnu Dayal Mishr

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मे भी युधिष्ठिर से परदिने का इतिहास पुराणों से छन्दं मानते हैं। । । आप छोग भी इतिहास के लिये पुराणों को ही अब भी लिया करते | हैं । फिर पुराण की प्रमाणिकता आप को ही स्पष्ट स्वीकृत टै । | आपने मन्त्रां कुः नीं किया है ओर अब लास्ट श्नं | ( अन्तिम पत्र ) में किया हुआ भी व्यथं होगा । इससे मेरे दिये | हुये मन्त्र ब्राह्मण से पुराण प्रामाण्य सिद्ध हो गया है। मेंने प्रतिज्ञा | कोई नहीं छोड़ो हैं इससे आपका लक्षण मुझ पर नहीं घटदता, | आप समय समय पर ३ निगम्रह स्थानों से निगृद्दोत हो चुके हैं, | ( है» ) गिरिधर शर्मा | (1 ५ आयसमाज ( च्तुधं वार ) গহন | आपने लिखा है कि सगं प्रतिसगं वाला श्छोक पुराणों का | | है, इ्ससे आपका क्‍या 4 मतकब सिद्ध हुआ | हम उस विद्या को | পাপ শা म ० ~ न 1 9. + जी ! अभो आप ने नहीं समका, सब कुछ तो लिख दो | तो लिखा नहीं, पुगण का दी यह बचन है, ओर पुराण अचल




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