अनन्य - मानसा | Ananya - Maanasa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
124
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ইঞ্জন আলনী ৪
হলনা আলা
पुस्तक बन्द कर दी हो
जन्न तू आत। है
यह भा अच्छा हे
में नही समझ पाता
तेरी क्या मनुहाए करू
तेरा शज्जार में किये हूँ
तेरे पर स्या लिखू
तू मुझसे बड़ा बन जा
तुझे क्या ढूंढ
जो भी प्रसाद तुझे चढ़ाता हूँ
कोन चाहता है
पञ्च भो नही शाता
अच्छा नहीं लगता
सरिता भो सूख गई
भयभीत नदी होता
यहँ गीत
कहाँ रह गया
मेरी श्रॉख बन्द कर ली
अधिक ओर स्या चाहता द
तेरो ओर न देखू गा
तुके अपनी आखों से देख
मे दषा
तेरे में अमो बहुत पंगुता ই
समय का मुृल्ल्याकम किया है
गीत के प्रथम पंक्ति
तू' नहीं जानता
चिन्ताश्रों को लहर
तू चाहे जेसा बने
तेरी पूजा तभी होगी
परिवतंन नहीं चाहता
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