प्रारम्भिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण को प्रभावित करने वाले विभिन्न सामाजिक एवं आर्थिक कारकों के प्रभाव अध्ययन | Prarambhik Shiksha Sarvabhaumikaran Ko Prabhavit Karane Vale Vibhinn Samajik Evm Aarthik Karakon Ke Prabhav Ka Adhyayan

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Prarambhik Shiksha Sarvabhaumikaran Ko Prabhavit Karane Vale Vibhinn Samajik Evm Aarthik Karakon Ke Prabhav Ka Adhyayan  by मृदुला तिवारी - Mridula Tivari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अनुच्छेद-3 - बुनियादी शिक्षा को सर्वसुलभ बनाना और समानता को अभिवृद्धि करना : बुनियादी शिक्षा सभी बच्चों, युवकों और प्रौढ़ों को उपलब्ध होनी चाहिए । इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अच्छे स्तर की बुनियादी शिक्षाओं का विस्तार किया जाना चाहिए ओर असमानताओं को कम करने के लिए निरंतर उपाय कयि जाने चाहिए । सभी बच्चो, युवाओं ओर प्रौटो को सम्मत स्तर तक शिक्षा प्राप्त करने ओर उस बनाए रखने के अवसर समान रूप से दिए जाने चाहिए | बालिकाओं और महिलाओं की शिक्षा की कोटि सुधारने और शिक्षा उन तक पहुँचाने तथा उनकी सक्रिय भागीदारी के रास्ते में आने वाली रुकावटें दूर करने के काम को सर्वोच्च प्राथमिकता सुनिश्चित की जानी चाहिए । लिंग के आधार पर शिक्षा देने की परम्परा समाप्त की जानी चाहिए । शिक्षा मे व्याप्त सभी असमानताएं दूर करने के लिए सक्रिय वचनबद्धता हानी चाहिए । अक्षम वर्गों, गरीब, गलियों में भटकने वाले और काम-काजी बच्चों और दूर-दराज के निवासियों, खानाबदोशों, प्रवासी कामगारों, आदिवासियों, सजातीय प्रजाति और भाषाई अल्पसंख्यकों, युद्ध से विस्थापित लोगों, विदेशी अधिपत्य वाले क्षेत्रों के निवासियों के लिए शिक्षा के अवसर जुटने में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए । विकलांगों की शिक्षा की जरुरतों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यता है । परत्यक किस्म के विकलांगों के लिए शिक्षा के समान अवसर प्रदान करने के लिए विशेष उपाय कयि जने की अवश्यकता है । यह शिक्षा व्यवस्था का अभिन्नं अंग होना चाहिए | अनुच्छेद 4 - सीखने पर बल : किसी भी व्यक्ति के लिए अथवा समाज के लिए व्यापक शिक्षा के अवसर उसके सार्थक विकास में सहायक होते है | इसलिए बुनियादी शिक्षा का मुख्य लक्ष्य वास्तव में शिक्षा अर्जन, दक्षता प्राप्त करना और परिणाम हासिल: करना होना चाहिए न कि केवल विद्यालय में भर्ती होना, कार्यक्रमों में भाग लेना और प्रमाण-पत्र प्राप्त करना ।




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