विभिन्न कोटि की शिक्षिकाओं तुलनात्मक अध्ययन जालौन जनपद के प्राथमिक | Vibhinn Koti Ki Shikshikawon Ka Tulnatmak Adhyayan Jalaun Janpad Ke Prathmik
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
118 MB
कुल पष्ठ :
316
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)के शिक्षा की प्रक्रिया असम्भव है। शिक्षक का दृष्टिकोण सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए।
रसेल के शब्दों में, “जहां बालकों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोंण रखने वाले
शिक्षक के ऊपर थोड़े बालकों की शिक्षा का भार होता है, वहाँ सभी काम स्वेच्छया
होते हँ संसार के बड़े से बड़े सिद्धान्तों में आस्था रखने की अपेक्षा छात्र
में आस्था रखना शिक्षक का प्रथम गुण है। रसेल का कथन है कि, “शिक्षक
को राष्ट्र तथा चर्च की अपेक्षा अपने शिष्य के प्रति प्रेम होना चाहिए यदि ऐसा
नही है तो वह आदर्श शिक्षक नहीं है।” प्रत्येक शिक्षक की यह कामना होती
है कि वह अपने कार्य में सफलता प्राप्त करे। कार्य में सफलता, कार्य के
स्वरूप पर निर्भर करती है। शिक्षक अपने कार्य मे तभी सफल होता है जब
वह शिक्षण के स्वरूप को ठीक से पहचान | शिक्षण का स्वरूप शिक्षा-दर्शन निश्चित
करता है, अतः शिक्षक के लिए आवश्यक हो जाता है कि वह शिक्षा-दर्शन से
परिचय प्राप्त करे। साधारणतः प्रत्येक शिक्षक किसी एक विषय का अध्यापन करता
है और उस विशिष्ट विषय का व्याख्याता, प्रवक्ता, प्राध्यापक आदि कहने में वह
गर्वं का अनुभव करता है। गर्व की अपेक्षा यह चिन्ता का विषय है। अध्यापक
को जीवन का शिक्षक होना चाहिए, न कि किसी विषय का। किसी विषय का
पण्डित यदि जीवन की समस्याओं
से अपरिचित है तो वह विषय का सच्चा
भी नहीं कहा जा सकता, शिक्षक तो दूर की बात है। शिक्षक का शिक्षत्व _.
इसी में है किव वह बालक के सम्पूर्णं जीवन के रहस्यों से त
जीवन के सन्दर्भ में अपने विषय को सम्पूर्ण ज्ञान की एक
तभी वह सफल शिक्षक हो सकता है। जीवन के रहस्यों से
की एकता से परिचय शिक्षा के
शाखा के
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