जैनतत्वादर्श पूर्वार्द्ध | Jaintavadarsh (purvardha)
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
662
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(ड)
) भ्री आत्मान्द' জন ` मशसमाः की कार्यक्रारेणी समिति ने
प्रस्तुत च्न्य का नवीन सस्क्रण प्रकाशित करने का 'निर्णय
किया, और उसे कम से कम मूल्य में 'वितोाणे करने का
भी निश्चय किया । तद्लुसार इस के. सम्पादन का कार्य
हम दोनों को सौंप दिया गया | हम ने भी-' समय की स्व-
ढपता, फाये की अधिकता ` ओर अपनी स्वदस्प. योग्यता का
कुछ भी विचार न करके फेवल : गुरुभाक्ते के वशीभूत दो
` कर. महासमा के आदेशालुसार पूर्वोक्त कार्य को अपने
हाथ में लेने का सादस कर लिया । और उसी के भरोसे पर
इस में प्रदत्त हो गये ।
हमारी कठिनाइयाँ---
इस काये में प्रदत्त होने के बाद हम को जिन कठिनाइयों
फा सामना करना पड़ा, उन का ध्यान इस से पूर्च हमें
विल्कुल नहीं था | एक तो हमारा प्रस्तुत अथ का साचन्त
अवलोकन न होने से उसे नवीन ठंग सेः सम्पादन करने
के लिये जिल साधन खामझी का संशभ्रह ' फरना हमारे
लिये आवश्यक था, वह न हो संका । दूसरे, समय बहुत
: कम होने से प्रस्तुत पुस्तक में प्रमाणरूप से उद्धत किये
गये प्राकृत और सेस्रृत वाक्यो के मूटस्थल ` का ' पता
लगाने सें.पूण सफलता नहीं हुईं । तीसरे, इधर/पुस्तक का
सेशोधन फरना और उधर उसे प्रेस में देना | इस बढी हुई
'कार्य-व्यग्नता- के कारण प्रस्तुत पुस्तक में आये हुए कठिन
स्थलों पर नोट में टिप्पणी या' परिशिष्ट में स्वतन्त्र विवेचन
' लिखने से:हम. वेचित रह गये हैं । एवं समय कैः अधिक
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