श्री स्वामी रामतीर्थ | Shree Swami Ramtirth
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
164
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अरणय-सस्वाद- &
पश्नः--क्या आप का अभिप्राय कोई नवीन मत पति-
पादन क्ररने काहे? &
उत्तरः - राम किसी मत का प्रतिपादक नहीं हे। सत्य
अपना पतिपादन आप ही कर लेता हे । रामकेवल परमेश्वर
के मार्य मेव्वाधा नहीं डालता, अपने को ठीक स्फटिकवत्
चनाये रखता है, ओर प्रकाश को स्वच्ठुन्दता पूर्वक-फेलने
देता ' हैे। उसको किसी भी रूप से चमकने दो। देह, मन
सव को उस ज्वाला द्वारा भज्वलित देने दो | इससे
अधिक सौभाग्य की कोई वात ही नहीं हो! सकती । सन्देश
मिल गया, सन्देश देने वाले का मार डालो ।
प्रश्नः-क्या आप पेग्स्वर चा इंश्वरीय दूत ( 70४16
0० 77'०॥1४ ) का कास करना चाहते है ?
उंत्तरः--नहीं, यह मेरी महिमा के विरुद्ध है। में स्वये ईश्वर
हैँ और बेस ही तुम हो | यह शरीर मरा रथ है ।
प्रश्नः - यद (आप का संदेश ) कृतकाय्ये न होगा, लोग
उस को स्वीकार करने के लिये तेयार नहीं है ।
उतरः--दससे मुभे क्या? म (सत्य) कमी इन तुच्छ
विचारो के सहारे नदीं चलता । युग मेरे हं, अनत कालमेरा
है । यदि ईसा अपने मनुष्यो से स्वीकार नहीं किया गया तो
इससे कया, समस्त संसार ने तो उसे अपना , लिया। यद्यपि
उस के अपने समय में उसकी वात न मानी गईं, किन्तु
भविष्य युग तो उसके अपने दी थे ।
प्रश्न:--इतिहास आप के इस विचार का समथंन नहीं
करता।
राम--आप का इतिहास अपूर्)ण हे, इतिदास का वदः
अध्याय, जिसे यह 'सत्य' लिखने बाला हे, अभी तक आप ने
पढ़ा नहीं | इतिहास डढ़ संकल्प के सम्मुख कॉपता है, चाहे
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