श्री स्वामी रामतीर्थ | Shree Swami Ramtirth

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Shree Swami Ramtirth  by स्वामी रामतीर्थ - Swami Ramtirth

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अरणय-सस्वाद- & पश्नः--क्या आप का अभिप्राय कोई नवीन मत पति- पादन क्ररने काहे? & उत्तरः - राम किसी मत का प्रतिपादक नहीं हे। सत्य अपना पतिपादन आप ही कर लेता हे । रामकेवल परमेश्वर के मार्य मेव्वाधा नहीं डालता, अपने को ठीक स्फटिकवत्‌ चनाये रखता है, ओर प्रकाश को स्वच्ठुन्दता पूर्वक-फेलने देता ' हैे। उसको किसी भी रूप से चमकने दो। देह, मन सव को उस ज्वाला द्वारा भज्वलित देने दो | इससे अधिक सौभाग्य की कोई वात ही नहीं हो! सकती । सन्देश मिल गया, सन्देश देने वाले का मार डालो । प्रश्नः-क्या आप पेग्स्वर चा इंश्वरीय दूत ( 70४16 0० 77'०॥1४ ) का कास करना चाहते है ? उंत्तरः--नहीं, यह मेरी महिमा के विरुद्ध है। में स्वये ईश्वर हैँ और बेस ही तुम हो | यह शरीर मरा रथ है । प्रश्नः - यद (आप का संदेश ) कृतकाय्ये न होगा, लोग उस को स्वीकार करने के लिये तेयार नहीं है । उतरः--दससे मुभे क्या? म (सत्य) कमी इन तुच्छ विचारो के सहारे नदीं चलता । युग मेरे हं, अनत कालमेरा है । यदि ईसा अपने मनुष्यो से स्वीकार नहीं किया गया तो इससे कया, समस्त संसार ने तो उसे अपना , लिया। यद्यपि उस के अपने समय में उसकी वात न मानी गईं, किन्तु भविष्य युग तो उसके अपने दी थे । प्रश्न:--इतिहास आप के इस विचार का समथंन नहीं करता। राम--आप का इतिहास अपूर्)ण हे, इतिदास का वदः अध्याय, जिसे यह 'सत्य' लिखने बाला हे, अभी तक आप ने पढ़ा नहीं | इतिहास डढ़ संकल्प के सम्मुख कॉपता है, चाहे




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