अथ नरसिंहपूराण भाषा की भूमिका | Ath Narsingh Bhasha Ki Bhoomika
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
170 MB
कुल पष्ठ :
387
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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तीसरा अध्याय ॥
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कीन सूत मुनिसों बहुत, विधिसों सहित विधान ॥ १॥
सतजी बोले कि, है महाभाग |! उस महांप्रलय के
जलम शेषनागके ऊपर सोते हुये श्रीनारायस मगवान्
को नाभीसे कमल जामा उससे वेदवेदाड़ा के पारणगा्ी
बह्माजी उत्पन्नहुये १ उनसे उन्होंने कहा कि, हे महा
मतिवाले | साछ्ठिकरों ऐसा कहकर नारायण प्रम अन्त-
डॉन हागये २ अच्छाहम राछ्ठे करगे यह कह ब्रह्माजी
उन्हंविष्ण मगवाव की चिन्तना करनेलगे परन्त उन्हें
जगत् के उत्पन्नकरने का कुछ बीज न मिला कि उससे
জাতি करते ३ तब इस बातपर ब्रह्माजी के बड़ा क्रोध
न्नहुआ उस क्रोधसे उत्पन्नहोकर उनकी गोठमे आ-
कर एक बालक बेठगया ४ व रोदन करनेलगा बह्माजी
नें राका भी पर उसने नहीं माना कहा कि मेशनाम क्या
है तो बरह्माजीन कहा तम्हार श्दरन महे ५ पर तमद
करो ब्रह्माजी के ऐसा कहनेपर उन्होने शष्चि करना
चाहा पर कर न सके उसीजल में स्थानकर तपकरतने
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