श्री मथुरेश प्रेम संहिता [भाग 1] | Shri Mathuresh Prem Sanhita [Bhag 1]
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
210
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मुन्शी मथुराप्रसाद - Munshi Mathuraprasad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)# अपयुरेशमेमर्सहिता प्रदयभाग #£ - ६४)
জলাগুনা है। रथसे उतरकर इसको दण्डवरत प्रणाम कीजिये «
आर इस रागका सतलव ध्यानदेकर समझ लीजिये ४
सेछ-प्यारी तुस ठीक कहती हो। मेरा दिलभी यही
गता है । दोनो रथे उतरकर महात्साकी तेर् बटकर.
উন সাল करते हैं महात्मा आज्ीवोद दायके इकारे से
'कर गाताहुबा आगे बढता है। सेठ सेठानी कुछ दूर लहात्मा-
६ की गाईहुई चीजको ग्रोरते सुनते हुये उनके साथ
लेजाते हैं महात्माजी उसकी तरफ देखकर फुरमाते हैं ।
महात्मा +उम्तछोग क्यों हमारे पीछे चले आरहे हो
अपने रस्ते क्यों नहीं जाते ॥
से्ट-(छषजोडकर ) महाराज संसारी जीव आपके
दहीनों से अपने पाठक सिंठाते और आनन्द पाते हैं इसालिये
हाय चलेआते हैं। कृपाकरके जो राग आप गाते हैं उसका
ऊर्ष लमझाकर हमारा भी कल्यान करवीजिये | यह बिनती
हम्तरी सान छीजिये ॥ 0
पहात्मा-भाई तुम सुसाफ्रि दिखाई देते हो अपना
रस्ता छो इंन बातों भें क्या हातप्र आयेगा तुम्हारा समय
क्या जायेगा चछे जाओ हमारे ध्यानमें विध्च .न डालो
भृहसथी आदमी: का साधुवों से.अधिक प्रसंग अच्छा नहीं |
जाओ हमारी आज्ञा पालो ॥
सेछु-महाराज ! 'आपकी आज्ञा हमारे सर आँख
पर है परन्तु चलते फिरते किसीका कल्याद करदेन क्या.
इर है ।.दासका निवेदन एतावन्साज है कि जो छुछ आपने
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