श्री कबीर भजन माला | Shri Kabirbhajanmala
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
147
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)' ४ श्रीकषीरभननमाला ।
पापी अनेक तारके भवपार उतारे ॥
महिमा अनन्त आपकी कोई न कहसके ।
यह जानि भेद वेद नेतिनेति उचारे ॥
अब वेगि मोहि दीजे दशेन कृपानिध |
होय अतिअधीन द्वीन धम्मेदास पुकारे | २॥
गजल ।
बिनती मेरापे ध्यान जो है तुम्हारा नहीं ।
आश्रित क्या दास आपका मै विचारा नहीं।2°
में तो अनाथ मेरे कौन दूसरा धनी १ ।
एक छोड तुम्हें और मुझे सहारा नहीं ॥
मैरी तो दौड फक्त तुम्ही तक कृपानिधे ।
तीनों भवनमें और कहीं गुजारा नहीं ||
कई एक दफे जो आफते भक्तोंपे आपडीं
तां आपने क्या उनके दुखको निवारा नहीं १ ||
क्या मु्लसरीके पातकी तुमने कमी कोई ।
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