श्री कबीर भजन माला | Shri Kabirbhajanmala

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Book Image : श्री कबीर भजन माला  - Shri Kabirbhajanmala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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' ४ श्रीकषीरभननमाला । पापी अनेक तारके भवपार उतारे ॥ महिमा अनन्त आपकी कोई न कहसके । यह जानि भेद वेद नेतिनेति उचारे ॥ अब वेगि मोहि दीजे दशेन कृपानिध | होय अतिअधीन द्वीन धम्मेदास पुकारे | २॥ गजल । बिनती मेरापे ध्यान जो है तुम्हारा नहीं । आश्रित क्या दास आपका मै विचारा नहीं।2° में तो अनाथ मेरे कौन दूसरा धनी १ । एक छोड तुम्हें और मुझे सहारा नहीं ॥ मैरी तो दौड फक्त तुम्ही तक कृपानिधे । तीनों भवनमें और कहीं गुजारा नहीं || कई एक दफे जो आफते भक्तोंपे आपडीं तां आपने क्या उनके दुखको निवारा नहीं १ || क्या मु्लसरीके पातकी तुमने कमी कोई ।




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