रत्नत्रय-चन्द्रिका भाग-1 | Ratnatraya Chandrika Bhag - I
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
36 MB
कुल पष्ठ :
436
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति
अपने आपने ४० २१
पाया भी पाया ४० २७
उचित दै उचितदै। ४१ ६
हौना হানা ४१ म्र
होता है होता हैं। ४१ यम
३६ ६६ ४१ १ दि०
भवित्व भावित्व ४२ २
है है ४२ ३
भाव है भाव है। ४२ ९०
करनेका पूर्णकरनेका प्रयत्न करनेका प्रयत्न ४९ १७
सम्यण्दर्शनादिको सम्यदशनादिकी ४३ ९
दोनातीदहै होजाती है फि ५३ ५
है किन्तु है। भिन्तु ४३ ७
न्यत्व न्यत्वं ४३ १ (टि)
धमका धरा ४४ ७
आस्तिक्या शआस्तिक्य ४७ ७
प्रमाणरूप प्रमाणरूप--- ४७ १७
अर्थशुद्ध श्रथ--शुद्ध ४७ १७
गुरुके गुरुकी ४७ २०
कि अभिषेय कि आगमके अभिधेय ४७ २१
रागाता रागादीना ४७ १ (टि)
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प्रथम विचारणीय
तरह तरहकी ७३
अपने अपनी. ७३
दमारी মাহী ওই
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उत्तको उनकी ७६
तोर्थकर तीर्थ-- ५७
हे । हैकि ७५
अनात्मानम् अनात्मार्थम् ७६
२४
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