गांधी-मानस | Gandhi Manas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
236
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मूकंकरोति वाचालस
पन्न॒ में, ग्रिरि--प्रथ, गहन वन, वेदना अवसाद के घन,
` शून्य वेला, में अकेला, लक्ष्य के पवतिकूल लक्षण |
विपुल पातक की शिला शिर) देव / तब केसे तिरेँ में !
प्रिन्चु की स्नेहोर्मियों पर छमुद अवगाहन करूँ में ?
तल्यं की तपर अग्नि में तृण---
कुछ तपना चाहता है,
अद्विपति के, छुद्र रज- कर्ण --
को न गौरव का पता हे।
কিন্তু हैं, विश्वात--फ़्ल की, जानता केसी लता है!
दनुज तक्षक मी शरण के मर्म को पह्िचानता है ।
मूक है, मेरी गिरा तुम, अन्य हूँ, तुम दिव्य लोचून,
बीन हूँ में, सरस रवर तुम, नौर हो तुम और में घन ।
( आण हो तुम भौरं में तन )
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