ऋषिदत्ता रास | Rishidatta Ras
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
204
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५५
छे पाटलिपुत्नना राजा नंद महाराजना मंत्री जकदालना पुत्र स्थूल्भिद्र ग्रहत्याग करीने वार
वर्ष सुधी कोशा वापनी वेश्याने घेर प्रेमविकासमा जीदन व्यतीत करे छे पिताना रुत्यु
पछी नाना साईने मत्रीपढ सोंपे छे अने पोते ससार प्रत्य वेगग्य उत्पन्त थता साभु पासे
दीक्षा ग्रहण करे छे, दीक्षा दरम्यान येता गुरु ओमना चारिष्रती परीक्षा करवा वेश्या कोशाने
त्या चातुर्पास गा्या सोकले छे, ज्या स्थूलिमद् वेश्यावी साथे रहेवा छता पर जलकम्लबत्
रही पोतानु शुध्य चारित्र साबित करे छे. ते ब्रम्याव स्थूलिभद्रता वियोग सपये कोशाने
चतुभो केवा सता१ आपेषेतेनु वणन अने स्थूलिभट्रवा मिलने ओनु दयु केतु कष
समान विकसित थाय छे ते वर्णब्यु छे
आ फागमा ४१मी कडी सुधीमा स्थूलिभठ के कोशानु' नाप पण आवबतु লগ্ী, জ্যা /
सुधीनी रचना सासारिक प्रेम काव्यनी ज छे, मात्र छेवटनी चार कडीओमा ज कविशे
अछ्डता उल्लेख कर्यं छे अने र्वनाने जेन फागुली पररागत कोरिसा मूकवाने। ओपचारिक
प्रयत्न कर्यो छ.
(३) ऋषिदत्ता रास :
स॒ १६४३मा स्वायेल ४१ टाक्ना आ रानु सगडन अही क्लुं ठे ओेटले জী
अगे विगतवार् माहिती पीना प्रकरणोमा आपी के
(৪) नेमराजुल লালা वे प्रबंध :
आ वारमासी काच्यपा कविभ जेनोना बावीसमा तीर्थंकर नमनाये सुक्तिरूपी
सीने मनमा धारण करी राजुल्छुमारीने परणवा जतां अनो केवी रीति त्याग क्यो तेनु
वर्णेन क्यु छ नेमनाथना विरह दरम्यान वरि क्रूतुभो राजुर्ने केवी रति विरही
स^तापे छे उने अन्यने सोहामणी लगती ऋतु राजुल्कृमारीने केवी पीडा आपे छे
ते बर्णव्यु छे,
४ बीजलीया चम्रकत कि कल्मलू दाइ ह्या र
दावा उपरिं दण लगावड वष्पैया रे ”
अते नेमनाथे जे मुकितना ग्रण गाया ते सामछीने राजुले पण जिनेश्वर पास सयसनी
याचना करी अने रिवपुरीने वरी.
(५) . सीमंधर स्वामी लेख
२९ कडीना आ स्तवनमा क्विभे हाल्पा सहाविदेदक्षवतरा विचन्ता जैन तीर्यङ्कर
सीम धरस्वामीनी रतुति करी छे : प्सारा गुणवान ओवा सीसधर स्वामी ' লা লাক
वोल्ता मेदाप्रायी अत লং উট, तेप्रज ताय गुण्ूयी क्रे साय सनस्पी श्रप्रने
वध्या छ. तने मक्वाने सार सन सखूवज विद्रव के पणय कुर तु खूब ज दूर
छे तारा सुखरूगी चद्रने जोवा सादे मारा नयनो आतुर ठे, तारा गुण गावा रारे
तो सारौ पामे अक्षर पण ओला ॐ,
“५ अक्षर वाचन गुण ঘণা নত, লা ख्खीह् लेख रे
याड घण क्री मानयो, - मुख होसिड् तुम्ह वखिई >, `
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