ग्रामीण भारत मेन सामाजिक स्तरीकरण और गतिशीलता के बदलते प्रतिमान | Gramin Bharat Men Samajik Strikaran Aur Gatishilata Ke Badalate Pratiman
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
248 MB
कुल पष्ठ :
312
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[41
जटिल ~ मे सामाजिक स्तरीकरण अनेक आधारो पर पाया जाता
सहे। ओर इसमे अनेक प्रकार कं सामाजिक, सांस्कृतिक समूह भी मिलते हैं।
इन्हीं को समाजशास््रीयों ने सामाजिक संस्तरण” कहा है। इसी के अनेक
प्रकारों को सामाजिक वर्ग, = , जागीरदारी आदि की सज्ञा दी गयीं हे।
इस तरह से सामाजिक स्तरीकरण अनेक समूहों का श्रेणीबद्ध तरीके से विभाजन
है। सामाजिक समूह उच्च और निम्न श्रेणियों में विभक्त किये जाते है।
(১০০1৪ 30:81101086101) 19 359610 01181010175 01 50103 0081 816 95:০010515 170
68080905০10 0800৩) অনূ্তী ক্যা उच्च. और निम्न श्रेणियों में विभाजन श्रेष्ठता
ओर निम्नता के आधार पर किया जाता है। स्तरीकरण कं प्रतिमानं कीं
विभिन्नता समाज में श्रेणियों के विभाजन के नियमों और अनेक लोगों के
बीच अन्तः क्रिया कं ठगो तथा संस्तरण के खुले या बंद स्वरूप पर निर्भर
करता है। इकाइयों के बीच उच्च और निम्न श्रेणियों में सम्बन्ध कुछ
सामाजिक प्रतिमानों पर आधारित होतें है। इनकों हिम 'सामाजिक सम्बन्ध
कहते हे। রা
“पारसंस ने सामज में सामाजिक सम्बन्धो को प्रतिमार्नित तथा व्यवस्थित
करने की व्यवस्था को स्तरीकरण कहा है।”
(121617011051780 87010106 01 500181 161861017 15 90:801102101010 55312101 01 `
5061615) |
प्रमाजशास्त्रियों ने अनेक विशेषताओं के आधार पर स्तीकरण के
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