समुदीक सहसता | Samudik Sahsta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
232
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( २५)
वली जेन गति सूकर सरखी दोय; ते साएस क-
कर्मो करे,अने तेने कोट्टनी पण साथे प्यार होय नहि.
हवे ललिंगनां लक्षणो कदे ठे.
लक्कण विनानु जनं लिंग डोय, तेने घणा पुरो
होय, तथा झाबी वाजुए जेनु लिंग गोल आकारलुं
'होय, तेने घणी पुत्रीं दोय.
जलनं लिंग ठ आंग्ुलनु होय, ते माणस राजा
अथवा प्रधान यायः; अथवा ते धनवान् यद्टने बडु
मान पसे.
जेल विंग जरा करककैश होय, ते अत्यंत सुख
सेलवे, तथा जु लिग लांब अने जडुं होय, ते
दरियी धएते अत्यंत छःख पासे.
जेड॑न लिंग सिहना लिंग जेदु होय; ते माणएस
राजा, जोगी, धनवान् अने घणाने वहालो थाय.
विषस आसने वेठां थका जेतुं लिंग नूमि पर
स्परो करे, तेने दरखी तया लोनी जाएवो,
ह्वे धारानां लक्षणो कदे ठे.
एक धारायी वलवान् रजा धाय, वे धाराथी
धनवान् थाय; तथा चण धाराथी ते साणस धन-
डीन चाय, एस सोदा, माणसोनो विचार ठे.
[ ^
॥ 1
সি
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