बांग्ला साहित्य में राजस्थान | Bangla Sahitya Mein Rajasthan [ Part - I ]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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` पिपय-सुची १३ कवि ओर नाटककार हिजेस्द्राल राय प्र० १४५-१५२ बंगभग का प्रभाव, इतिहास के रचयिता, प्रपताद भौर डी° एल ० राय, अतीत : वर्तमान में । द्विजेन्द्रलाल का 'ताशाबाई' नाटक प° १५३-१६७ 'ताराबाई' नाटक की भूमिका, 'ताराबाई' का करधानक, माटक की त्रासदी, चोरबाला ताराबाई, पृथ्वीराज के भाग्याकाश को चमफ, चारणी की भविष्यवाणी, क्ार- णिक बन्त, 'ताराबाई” नाटक का हिन्दी अनुवाद, हरिरृष्ण (प्रेमी! का कीति स्तम्भ नाटक, 'ताराबाई! और “कीति स्तम्म' नाटक । 'ह्विजेन्द्रलाल का “प्रताप सिंहः नाटक पृ० १६८-१८४ सार-संक्षेप, बगर्भग को स्वदेश भावना, रोमान्स का दतान्त, कठोर ब्रत, गडेरिये की हत्या, मानसिंह की इच्छा, श्क्तिसिंह का चरित्र, अमर की उदण्डता, प्रताप का चरित्र, नारी पात्र, प्रथ्वीराज की पत्नी, अकबर का चरित्र। राधाकृष्णदास का “महाराणा प्रत्ताप सिंह! नाटक पृ० १८४५-१६७ हिन्दी में प्रथम, नाटक के रोचक प्रपंग, ऐतिहासिक मछती, नाटक में रंगलाल की प्रतिध्वनि, मिलिन्द फा '्रताप-प्रतिज्ञा' नाटक, 'महाराणा प्रताप” नाटक মি সদন की पक्ति, 'अरावली का दोर) नाटक] ब्विजेन्द्रढाल राय का 'दुर्गादास! नाटक पृ० १६८-२१४ 'दुर्गादास” नाटक को कथा, आलोचना, यूग सापेक्षता, औरंगजेब क्री कूटनीति, दुर्गादास की बहादुरी, दंवी-शक्ति, आदर्श को भतिशयता, औरंगजेब करा अन्तिम जोवन, युग का प्रभाव, 'दुर्गदास्' नाटक का हिन्दी अनुवाद, आचायं चतुरसेन का “अजित सिंह! नाटक, डँ ० मनोहर शम की 'दुर्गादास! काव्यकृति, रामकुमार वर्मा का 'जौहर की ज्योति' नाटक 1 -द्िजेन्द्रशख राय का 'मेबाड़ पतन! नाटक ৪০ २१४-२२४ नियति नटी, मेवाड़ पतन का फयानक, महावत षाँ, मानसी, गोविन्द सिह, -भाषा फा सौप्ठव, सत्यवती, ममर सिंह, सगर सिंह, डॉ० सेम का मौन, हिन्दी साहित्य में चर्चा, 'मेवाड़ पतन! नाटफ का द्विन्दी अनुवाद । क्षीरोद प्रसाद्‌ का पद्मिनी! नादक प्र० २२५-२२७ ` ˆ गढ़ सो चित्तौड़गढ़, “अद्देप्या' नाटक 1 -चंगला-सादित्य में 'राज्षस्थान” पर अन्य नाटक ध्र >२८-२३६




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