पैतीस बोल का थोकडा | Paitis Bol Ka Thokda
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
503 KB
कुल पष्ठ :
52
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
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श्री बल्लभश्री महाराज - Shree Ballabhshri Maharaj
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)4 १३६
८--देंने में दया प्राप्ति मे, खाने पटिनने पे श्नौर बल को
काममें लाने में नो विपस डालता है उसे शस्तराय
कर्म ऊह्ते हैं ।
ग्यारहवाँ ।
गुणम्थान चौदह सत द--मिव्यान,सामादनःपिशर)
अबिरत सम्यग् दृष्टि, टेशविरति, प्रमत्त, अप्रमत्त, निवृत्ति-
करण, 'भनियृत्तिरण, सच्मसम्पराय, उपशान्तमोह,
क्षीणमोह, सयोगी +वला श्रार योगी केपी, चरण
आए भावों के क्षरा जीवा की जो स्थिति होती दे उसे
म्.णम्यान यदे ६.--
१--अम्तु के ययार्य ( असली ) स्वरूप को ने मान कर
उसमे पिपरीन (उलथ ) मानने बाहे षो पिथ्यान्वी
फहते #, उस की स्थिति का नाप मिश्यास्तर गुण
म्थान ई।
०--मम्यत्त्व मे गिरने प्र पीच में भावों की थोटे समय
तक जो स्थिति होनी ह उसे सासादन गणम्थान
फदन है ।
३--सत्य और अस्त्य दोनों सो समान ही समकने वाला
की स्थिति नहीँ होती है, अर्थात् जहाँ वास्तविक तन्व
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