गज़ल संघर्ष | Gazal Sangharsh
श्रेणी : गजल व शायरी / Shayri - Ghajal
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
168
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)€ ৪০)
तुम आंखोंसे दिलमें मेरे क्योंकर उतरआए।
जिस्के लिये बे-ताब है बिजलीकी तरहदिल।
या रब ! वः्सुझे चांदसी-सूरत नजरआए।'
हर रोज मजा दीदका छूटे निगाहे-शौक।
हर सुबन्ह इलाही वही सूरत नजर आए '
हम सेफ-नबानीके देखादे अभी जौहर ।
रखता अगर दौसला दश्मव्दइधरआ९४५।
गजल आगा ।
फिरताहू नदीं दीद् सुयस्सर कई दिनसे ।
बरगश्तः है कुछ अपना मुकददर कईदिनसे॥
अब आंख चोराता है बराबर कई दिनसे।
साकी नहीं देता हमें सागर कई-दिनसे ॥
सघी जो नहीं जल्फें-मुअम्बर कई दिनसे।
गश आते हैं दिन-रातबराबर कई दिनसे ॥
देखी जो नहीं सुरते-दिछिवर कई दिनसे ।
, बेचैन है अपना दिले-सुज्तर कई दिनसे
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