मजमूआइ कवानीने ताजिराते हिन्द | Majamuai Kawanine Ki Tajirate Hind

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ठप নন बे १ পাশ শিপ পাশা কপ পাপা १६ ०--सकारी स॒ताधिम जे। लुझगात प्‌ चे।। की सीयद से লন লিজ কান कर। ১ই৫-ট০ হলাজিন লা নাল এজ हार पर तिएरत से খা বন ९६९ -- सस्री বৃাজিন ল। নামল নী प्रमाद গা না ভন लिय বানাও । ९८० -- तमति नुलणिम वाना । ०१-- तप ही सीयत से वर वास पहुनना ये बड़ विज्ञान स्थि किना मित्त দান १०१ सकार। इला इर्तियाराते जायज की तहकोर के_दयान मे [+ ~ | ৬ ७३२--समन ओर दत्तिछा नागे का अपो पाततर पहुचना दाछ देने के लिये रुपाश ঠীসানা। १७३--छ्रमा या यीर इत्तिस नाग के अपो या ओर के पात्त तक पहुचने को या उसके मश्तहर विथ जने का रोकता । २७४--हजिर हीोन को जो सकारी सुछाजिम के हुक्म की तापीछ में हों तक करना । १७९--वेह शस्प सर्जरी मुलाजिम के हुजूर में दरतावेज वा पेश करना तक करें जि पर उसका पेश करना নানু লাজিব है । १७६--वह शब्स सकि्तरी मुछाजिम को दत्तिला या ख़बर देगी तक कर जिसपर इत्तिला या ख़बर देनी क नूनन्‌ वाजिव है । २७७--झूठी सब्र देगा । १६४७८--हलपुरए या इकरार सालिह करने से इनकार करता जब कोई सर्कारी मुलाज़िम उप्तका वाजानित हुक्म दे । धि २१०९--सकीरी रलाजिम को जे सदाल करने वा इख्लियार रखता है जवाव टेप से इन्‌- वर्‌ करता । १८०--वेयान पर दस्तख़त करने से इनकार ल्रना । २८१--सकोरी सल्यजिम या उस शख्म मे जो हल्पा या इस्गर साहिह लेने वा इक्लितिप 'र ख़ता है व हरफ या इक़रारे सालिह यूठ वयान करगा। ९८२-- सकरी मुलाजिम से उका इच्वियार जायज सिसी आर शर्त কী কান দত 8 चने के डिये नाफिज कराने को नीयत से उठी ख़बर देगा ।




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