हमारी स्वतंत्रता | Hamari Swatantrta
श्रेणी : इतिहास / History, पत्र / Letter
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
234
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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जहां वरसात के दिनों में जाना अ्रसंभव है ओर ऐसे बहुत-
से गाँव भी हैं जहाँ तक पहुँचने का कोई समुचित साधन
ही नहीं हे भारत के गाँवों को अन्धकारः में रखा गया;
क्योंकि उन्हें लुहझना था। उनका विकास नहीं किया
गया--इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि देश का ही विकास
नहीं किया गया। ८७ प्रतिशत आधवबादी की उपेक्षा
जानवूक कर की गईं। अशिक्षा ओर इसी तरह के दोपां
का रहना, ऐसी दशा में स्वाभादिक है, जो हैं] यचपि
ये गाँव ही भारत की रीढ़ रहे हैं फिर भी इन गाँवों को
विल्कुल ही अशिक्षा तथा दोपों का गढ़ वनाकर रखा
गया। इन गाँवां तक बह प्रकाश नहां पहुँचा जिससे
भारत के ८७ प्रतिशत निवासियों को सब कुछ देखने का
अवसर मिल्रे। जन-चेतना का गाँवों में अभाव ही वना
रहा, यद्यपि “भारत के कल्याण” के लिए अगरेजों ने
प्रायः डेढ़ सो साल तक इसे शुलाम वना रखा |
हम अपने देश के सम्बन्ध में जब सोचने लगते है तो
हमारे सामने उसका निर्धव रूप ओर अशिक्षा तथा रोग
की दहला देनेवाली यातें स्पष्ट हो जाती हैं। हमारी यह
दशा शुलामो की देन हे। हमारा शोपण तो किया
गया, किन्तु विकास नहीं किया गया। रूस को वाद
देकर जितना वड़ा यूरोप है, यूरोप के सभी देश हैं, उतना
वद्धा भारत हे। हमारे देश में इतने बड़े-बड़े जिले हैं
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