उमर खैयाम की रुबाइयां | Umar Khaiyam Ki Rubaeyan

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Umar Khaiyam Ki Rubaeyan by रघुवंशलाल गुप्त - Raghuvanshalal Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उमर ख्ेयाम की रुबाइयाँ ये तीनों सम-वयस्क थे तो मृत्यु के समय उमर खेयाम और इब्न सब्बाह की अवस्था सौ वर्ष से अधिक रही होगी; जो कि असम्भव-सा प्रतीत होता है। यदि उमर खैयाम का जन्म और मरण का काल मौलाना सुलेमान नदवी के मतानुसार क्रमशः १०४८ ई० और ११३२ ई० লালা जाय, तब तो इन तीनों का सहपाठी होना नितान्त ग्रसम्भव हं । आजकल उमर खेयाम केवल अपनी रुबाइयों के कारण ही प्रसिद्ध हैं; किन्तु सत्य बात यह हैं कि ये गणित, ज्योतिष, धर्मशास्त्र, दर्शन, वेद्यक, तकंशास्त्र, विज्ञान इत्यादि के प्रकाण्ड पण्डित थे। यूनानी दर्शनशास्त्र का इन्होंने विशेष ग्रध्ययन किया था और अपने काल के सर्वश्रेष्ठ गणितज्ञ और ज्योतिषी माने जाते थे। १०७३ ई० में सुल्तान मलिकशाह की आज्ञानुसार उस समय के आठ सर्वेश्रेष्ठ गणितज्ञों ने मिल कर फ़ारसी पञ्चाड़ का सुधार किया था। उमर खेंयाम उनमें से एक थे । म्राप की बीजगणित की एक पुस्तक अ्रभी तक मिलती है। दाशेनिक विषयों पर अरबी और फ़ारसी में लिखे हुए लेख मिस्र देश में छप चुके हें। नदवी साहब के 'खैयाम” में भी ये समाविष्ट - हैं। कहने का तात्पयं यह हे, कि उमर खेयाम ने विज्ञान ग्रौर विदोषतः गणितशास्त्र का प्रेमपूर्वक अध्ययन किया था और इन्हीं के कारण अपने काल और देश में कीति १२




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