हिंदी प्रचार समाचार | Hindii Prachaara Samaachaar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
39 MB
कुल पष्ठ :
340
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about वेमूरि राधा कृष्ण मूर्ति - Vemoori Radha Krishn Moorti
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्री के. सुब्बरायन ने स्वागत भाषण दिया तथा श्री कटील गणपति शर्मा ने
अन्यवाद-ज्ञापन किया ।
मंथन
सेमिनार का लक्ष्य वाक्य यहु रहा “ राज्य स्तर पर कन्नड का तथा राष्ट स्तर
पर हिन्दी का कार्यान्वयन} राजभाषा सेमितार का कार्यक्रम दो अधिवेशन में
संपत्त हुआ। निम्नलिखित बातों पर प्रतिनिधियों ने तथा प्रमुख सनज्जनों ते अपने
विचार प्रकट किये | | |
(1) कर्नाठक में प्रथम भाषा के रूप में मातृभाषा (कन्नड) पढ़ाई जाती है।
तीसरी भाषा के रूप में हिन्दी की पढ़ाई होती है। भाषा शिक्षण को और भी
मज़बूत और आकर्षित बनाना है। कोई विद्यार्थी एस. एस. एल. सी. में उत्तीर्ण
होने पर या स्तातक बनने पर अपनी मातृभाषा कन्नड तथा हिन्दी में काम करने की
शक्ति प्राप्त करेगा। कालेज में हिन्दी शिक्षण बहुतं लोकप्रिय है। भविष्य में
स्कल, कालेज के ज्यादा विद्यार्थी हिन्दी तथा दूसरी भाषाएँ भो द्वितीय भाग में
लेकर पढ़ेंगे। सावंजनिक क्षेत्र में हिन्दी की प्रगति संतोषजनक है। हर साल
हज़ारों विद्यार्थी स्वेच्छा से सभा को परीक्षाएँ देते हैं तथा कल्तड व हिन्दी मद्रा
लेखन में भी दिलचस्पी लेते हैं, जिससे हिन्दी के कार्यात्वयन' में मदद मिलती हैं ।
इस दिशा में सभा द्वारा कई योजनाएँ कार्यात्ववन की जाती हैं। हिन्दी वर्ग,
[हिन्दी विदूयालय, मुद्रालेखन विद्यालय आदि ।
इस दिशा में नयी योजनाएँ बनाकर शिक्षा मंत्रालय में भेजी गयी हैं जिनकी'
स्वीकृति मिलने पर अगे के कायं मे बड़ी सुविधा होगी ।
कर्नाटक राज्य स्तर पर कन्नड मे सारा कामकाज चलने से हिन्दी कै
कार्यान्वयन में सुगमता आ गयी है। सभा इस दिशा में प्रयत्तशील है कि हिन्दी के
कार्यान्वयन में, शिक्षण तथा प्रयोग के द्वारा सब तरह की सुविधाएँ प्रदाव करें तथा
अनुकल वातावरण भी हो। केन्द्र सरकार व राज्य सरकार से इसको पुनः प्रार्थना
करती है कि सभा तथा दूसरी स्वेव्छिक संस्थाओं के लिए हिन्दी शिक्षण तथा परीक्षा
संचालन में राज्य सरकार तथा' केन्द्र सरकार से सब तरह का प्रोत्साहन मिले तथा
इन संस्थाओं के द्वारा संवालित परीक्षाओं कौ मान्यता का पुरा उपयोग क्वा
जाय । इस क्षेत्र में संस्थाओं को पूरी स्वतंत्रता रहे और राज्य सरकार स्वयं परीक्षा
संचालन की दिशा में कोई दूसरा प्रबन्ध न करके स्वयं सेवी संस्थाओं को आवश्यक
प्रोत्ताहन दे जिसका आश्वासन कर्नाटक सरकार नें दिया है ।
दिसंबर, 80 15
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