वायुमण्डल | Vayumandal
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
212
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१७० [ वायुमंडल
खोबित रह सकता है। अतः वायुका हर एक भाग हमारे
बहुत काम का है । प्रथ्वीके चारों तरफ वायु काफी
ऊँचाई तक फैली हुई है और इसी भागको व्रायु-मंडल
कहते हैं ।
जिस विज्ञान-शारूमें वायु-मंडल ओर इसकी गति
आादिके विषयका वर्णन होता है उसे अंतरिक्ष-विज्ञान
(71606010102%5) कहते हैं। श्रभी यह शास्त्र अपनी
ईेशव-अव्स्थामें है । जो दैज्ञानिक इस विषयपर खोज कर
रहे हैं वे अधियतर भिदड-शिश्न स्थानों पर, दिनके भिन्न-भिश्च
समय, तथा तमाम वर्षके छिये ताप-क्रम दबाव ओर
झाद्वताबी मापोंका संग ह बरते है । परन्तु प्रथ्वीकी सतहकै
सव स्थानो इन चीज़ोंके एक-सा न होनेके कारण इन
मापोंका संग्रह हृतना जटिल हो जाता है कि इनसे एक
साधारण नियम निकालना कि इन सवका स्थान तथा
हूम्यके साथ विस तरहसे परिदर्तन होता है, बहुत कठिन
है। इसील्ये कुछ वैज्ञानिकों ने सोचा कि यदि हम
पृश्दीसि चार-पॉँच माल ऊपर वायु-मंदलके लिये हन
सापोंका संग्रह कर तो काफी सुदिधा हो और इस तरहसे
उपरी वायु-संडल्दी रोज वरनंका विचार वैज्ञानिको
छाया । चित्र $ में यह ब्ताया गया है कि वायुमडलमें
हर ।.कय। है रुथा यह विभ-दिन भाग में द्भाहित किया जा
सकता दे ।
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