ज्योतिकिरण अर्थात धर्म्म की मूल कथा | Jyotikiran Arthat Dharmma Ki Mul Katha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
182
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१ भाग] ज्योतिकिरण ॥ ९
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घम्मेपुस्तक का पद् ।
জী पाप करता ई से भतान से रै क्वाति शैतान आरम्मसे
पाप करता है । (९ ये्हन का ३ पठं ८ पद) ॥
२ दुसरे पाठ के प्रश्न ।
श्वर ने आदम ओर ह्वा के किस पेड़ के फल खाने से
बरजा ঘা?
षता का चह फल खाने के लिये किस ने बहकाया ?
वा ने क्यें। वह फल खाया ओर खाने के पोछे उस ने उंसे
किस के। दिया ?
इंश्वर ने सांप के। क्या दण्ड दिया?
उस ने आदम ओर हद्या के। क्या श्राप दिया ९
डंश्वर ने आदम ओर हट के! अदन की बारी में क्ये। न
रहने दिया ?
इंश्वर ने सनुप्य से क्या प्रतिज्ञा किदे ?
मीर
तीसरी कथा ।
काइन ओर हाबिल का दुत्तान्त ।
उत्पत्ति ४ पथ्वै ।
खादम और हा के अदन की बारी से बाहर निकाले जाने
के पीछे दे। बेटे हुए । बड़े भाई का नास काइन और छेटे का
नाम हाबिल था| काइन शैतान के ससान दुष्ट था किन्तु हाबिल
अला या । यद्यपि हाबिल का स्वभाव पापी था तथापि इंश्वर
ने अपना पविन्नात्ता उसे दिया था इस कारण वह इंश्वर से
प्रेम करता था । जब हाबिल अपने पापों के लिये पछताता था और
इंध्वर से प्राथेना करता था कि वह उन सब के चज्षमा करे तब
হুল জী ভা कर जाता था | काइन और हाबिल के अपने
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