ज्योतिकिरण अर्थात धर्म्म की मूल कथा | Jyotikiran Arthat Dharmma Ki Mul Katha

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Book Image : ज्योतिकिरण अर्थात धर्म्म की मूल कथा  - Jyotikiran Arthat Dharmma Ki Mul Katha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१ भाग] ज्योतिकिरण ॥ ९ € घम्मेपुस्तक का पद्‌ । জী पाप करता ई से भतान से रै क्वाति शैतान आरम्मसे पाप करता है । (९ ये्हन का ३ पठं ८ पद) ॥ २ दुसरे पाठ के प्रश्न । श्वर ने आदम ओर ह्वा के किस पेड़ के फल खाने से बरजा ঘা? षता का चह फल खाने के लिये किस ने बहकाया ? वा ने क्यें। वह फल खाया ओर खाने के पोछे उस ने उंसे किस के। दिया ? इंश्वर ने सांप के। क्या दण्ड दिया? उस ने आदम ओर हद्या के। क्या श्राप दिया ९ डंश्वर ने आदम ओर हट के! अदन की बारी में क्ये। न रहने दिया ? इंश्वर ने सनुप्य से क्या प्रतिज्ञा किदे ? मीर तीसरी कथा । काइन ओर हाबिल का दुत्तान्त । उत्पत्ति ४ पथ्वै । खादम और हा के अदन की बारी से बाहर निकाले जाने के पीछे दे। बेटे हुए । बड़े भाई का नास काइन और छेटे का नाम हाबिल था| काइन शैतान के ससान दुष्ट था किन्तु हाबिल अला या । यद्यपि हाबिल का स्वभाव पापी था तथापि इंश्वर ने अपना पविन्नात्ता उसे दिया था इस कारण वह इंश्वर से प्रेम करता था । जब हाबिल अपने पापों के लिये पछताता था और इंध्वर से प्राथेना करता था कि वह उन सब के चज्षमा करे तब হুল জী ভা कर जाता था | काइन और हाबिल के अपने 2




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