पंजाब का इतिहास | Panjab Ka Itihas 1469-1857

Panjab Ka Itihas  1469-1857 by विद्यासागर सूरी - Vidhyasagar Suri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पंजाब की भौगोलिक स्थिति पर इतिहास पर उसका प्रभाव 5 भूगोल का इतिहास पर सम्पूर्ण प्रभाव भौगोलिक दृष्टि से पजाब के इतिहास पर यहाँ की क जलवायु ख उपजाऊ भूमि ग नदियों के रूप मे प्राकृतिक सचार-साघनो का विशेष प्रभाव पडा है । क इस भूखण्ड में निवासियों को काफी सुख-साधन उपलब्ध हो सकते है । उन्हे प्राकृतिक सुविधाओं के कारण जीवन की साधारण जरूरते प्राप्त करने के लिए ज्यादा परिश्रम नहीं करना पडता था । शायद जलवायु गर्म श्रौर बहुत म्रधिक परिश्रम की जरूरत न होने के कारण पजाब के लोग कालातर मे श्रालसी हो गये श्रौर बाहर से होने वाले श्राक्रमणों का श्रच्छा मुकाबला न कर सके । इसके मुकाबले मे उत्तर पश्चिम से भ्राने वाले श्रौर पहाडो के रहने वाले झ्राक्मणकारी सफल होते रहे । प्रसिद्ध इतिहासकार मुहम्मदलतीफ के शब्दों मे पंजाब भौगोलिक स्थिति के कारण भारत का मुक्‌ट श्रौर प्रवेदा-द्वार बना रहा है । उत्तर की तरफ से हर एक शझ्राक्रमणकारी ने इस पर श्रधि- कार करने के बाद ही भारत के साम्राज्य को पाने की कोशिश की है । दूसरे शब्दों में प्राचीन काल से ही पंजाब के लोगो को उत्तर-पश्चिम की दिशा से झाक्रमणों का निरंतर मुकाबला करना पडा । इसका कारण यह भी है कि पंजाब बाहरी श्राकमणों के सुकाबले के लिए देश की रक्षा की प्रथम पक्ति बना रहा है। भारत के ऊपर झ्राक्षमण करने वालो को यहाँ पहले झ्रपने कदम जमाने पड़े । ख पंजाब का विशाल मैदानी प्रदेश शझ्पनी भौगोलिक स्थिति के कारण इतिहास का बडा केन्द्र सिद्ध हुभ्रा है । पंजाब के मैदानों मे ही देश मे प्रवेश करने वालों से राजनीतिक श्रौर सास्कृतिक संघर्ष होता रहा । पंजाब के मंदानो से श्रागे जाकर ही बाहर से श्राने वाले भारत के शासक बनते रहे । इस दृष्टिकोण से पंजाब को एक बडा सास्कृतिक और रा जनीतिक श्रखाडा या कुठाली भी कहा जा सकता है । यहाँ पर ही समय-समय पर प्रवेश करने वाले मध्य एक्षिया के लोगो को पंजाबियो से सबसे पहले संघर्ष करना पडा भ्ौर यहाँ भ्रपनी सत्ता जमाने के परुचात्‌ ही वह श्रागे बढ सके थे । फलस्वरूप भारत मे पजाब मे ही सबसे पहले राजनीतिक सास्कृतिक व्यापारिक झादान-प्रदान होता रहा है । पंजाब की भौगोलिक स्थिति के फलस्वरूप ही यहाँ के लोगों का जीवन बाहर से आने वाले लोगों से उनके श्राचार-विचार से सदा प्रभावित होता रहा है । बाहर के लोग भी यहाँ के लीगों के धर्म चरित्र श्र आचार-विचार से प्रभावित हुए भर इस प्रकार कई धार्मिक श्रौर सास्कृतिक श्रादोलन यहा शुरू हुए जो बाद मे देश के दूसरे भागों मे भी फैल गये । इस दृष्टिकोण से पंजाब को देश की एक प्रयोगशाला कहा जा सकता है जहाँ से नई-नई विचारधाराएँ उदय होकर झ्रागे फैलती रही है । ग पंजाब की नदियों का भी इस प्रदेश के इतिहास पर बहुत प्रभाव पड़ा है । थे नदियाँ ही समय-समय पर स्थापित होने वाले राज्यों की सीसा का रूप धारण करती रही श्ौर सुरक्षा के लिए उपयोगी सिद्ध हुईं । डाक्टर हरिराम गुप्ता के दाब्दो में पंजाब की नदियाँ विशेषतौर पर प्राचीन काल में झाक्रमणकारियों के लिए बडी प्राकृतिक




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