यजुर्वेदभाष्यम् भाग - 4 | Yajurvedabhashyam Bhag - 4
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
502
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about दयानंद सरस्वती - Dayanand Saraswati
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| एकज्रिं शोऽध्यायः ॥ पल
वे ( तस्पात् ) उस परमेश्वर से ( श्रनायन्त ) उत्पन्न हुए ( तस्मात् ) उसी _
| से ( गाव) ) गोयें ( यह एक ओर दांत बालों का उपलक्तण है इस से अन्य
। भी एक ओर दान बाले लिये जाने ह ) (ह ) निश्चय कर (जक्षिर ) उत्पन्न
हुए
ह
हृए श्र ( तस्मात् ) उस से ( अजावयः ) बकरी भेद ( जाताः ) उत्तन्न हुए '
हैं इस प्रकार जानना चाहिये ॥ ८ ॥
भावार्थः-हे मनुष्यों! तुम लोग गो घोड़े आदि ग्राम के सब पशु निस सनातन- `
पूर्ण पुरुष परमेश्वर से ही उतन्न हुए हैं उस की आज्ञा का उलड्घन মী মল करो ॥८॥ ,
ल यन्ञमित्यस्य नारायण ऋषिः पुरुषे दधता ।
निचदनुष्टुष्ठन्द्ः | गान्धारः स्वरः ॥
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
फिर उसी वि० ॥
त॑ यज्ञ वर्हिपि प्राक्षन्पुरुपं जातमग्रतः । ते-
न देवा अयजन्त साध्या ऋषयदच ये ॥ ६ ॥
तम् । यज्ञम , बहिपिं । प्र ७ ओक्षन् । पुरुषम ।
সা শীশ্াশীশশী শী শী পাপা ~-~-~----~-------------- --
ऋषयः । च । ये ॥ ९ ॥
पदार्थः-८ तम् ) उक्तम् ( यज्ञम् ) संपूजनीयम .
( बर्हिषि ) मानसे ज्ञानयज्ञ ८ प्र) प्रकषण ( ओऔक्षन् )
सिञ्चन्ति ( पुरुषम् ) पूणम् ( जातम् ) प्रादुभरूतञ्जग- :
त्कत्तरम् ( अग्रतः ) सृष्टेः पाक् ( तेन ) तदुपदिष्टन बे-
देन ( देवाः ) विद्वांसः ( अयजन्त ) पूजयन्ति (साध्याः)
साधनं योगाभ्यासादिकं कुवेन्ते ज्ञानिनः ( ऋषयः ) म-
न्त्रथविदः (च) (ये)॥<€॥ '
9
User Reviews
No Reviews | Add Yours...