चलती पिटारी | Chalti Pitari
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चल्नतत्ती पिटारी ६
, चढ्ठान-पुंजों पर बेठ छु लोग मशाल बारे बसी से म्ली
पकड़ रहे थे! संयोग से दीधकाय को वही डोगी पसंद
आई, जिसे चमरू ने बड़ी नाथ पर उलम्पा ग्क्खा था।
गुलाम और किन्नर की सहायता से डमी को बड़ी नावसे
निमु क्त कर दीघेकाय उस पर सवार हुआ, और अपने दो
साथियों के साथ उस ओर चल्र पड़ा, जहाँ वह बहुमूल्य
पिटारी थी । डॉंगी के चलने की अआवज्र सुन दिलबहार
आदि के कान ग्खड़े हो गए। दीघेकाय की खाँसी की आवाज़
सुन वह भाप गया कि'डोंगी तट की ओर आ रही है।
संकेत पाते ही पिटारी डोॉंगी पर रकखी गई। सभी सवार
हुए | चमरू की मछली. जो डोंगी से एक बार उतरी थी, फिर
: वहीं रक्खी गई । उसकी म्रतात्मा को प्रथ्बी के गोल होने
की अनुभूति होने लगी ।
पत्थररेखा का पेट. चीरती हुई नाव तीम्र गति से उस
तट की ओर चल पड़ी, जहाँ से विस्तृत बन प्रारंभ होता
था। चारो ओर अंधकार, नीचे स्वच्छ और शांत सलिल,
ऊपर तारकित नभः साथ में सशंक हृदय और पाशएवं में
पिटारी, जिसकी संरक्षा पर डोंगी के सभी प्राणियों का इस
लोक में रहना निर्भर था। थोड़ी देर तक सभी मौन रहे ।
क्या-क्या विचार उनके मन में उठते थे, केवल वे ही जानते
ओर समभते थे। हाँ; एक बात जो सबके मन में प्रमुख
थी, बह थी रात के कूच करने के पहले पिटारी की संरक्षा
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