रवीन्द्र - दर्शन | Ravindra - Darshan

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Ravindra - Darshan by सुखसंपतिराय भण्डारी - Sukhsampatiray Bhandari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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~ ~ ~~ ~~ ~~ ~ : % पटिला अध्याय । # कविवर रवीन्द्र का परिचय। : स सेसार में उन आत्माओ्ों का जीवन कितना धन्य #, जो मानवजाति के विकास के लिये-- मानवजाति को गृद छान का श्रलोकिक प्रकाश बतसखाने के लिये-उसके हृदय को दिव्य प्रकाश से आलोकित करने फे लिये-उसकी घ्यात्मा में निवास करने ७३२०० ७०००० चाल अनन्त | और अनन्त प्रतिमा का विकास करने के ते आात्म-शक्ति के द्वारा उन नन, -- ১: ईश्वरी प्रभावो को शाति निगधाग अवस्था >त्मा आत्मा में गहने यो को निमे वना जेग करते ही हैँ, परन्तु ५




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