फ्राम ढायर्की टु सेल्फ गवर्नमेंट | Fram Dayarki To Self Government

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Fram Dayarki To Self Government by डॉ० ए० एल० श्रीवास्तव - Dr. A. L. ShreeVaastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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समाप्ति सन्‌ १७६४ से कम्पनी को दीवानी मिल ने प्रमानी जा सकती है जब कि वगाल, विहार और उड्दीसा का शासन वास्तविक तथा अधिकृत रूप से उसके हाथो में आया। ; (२) प्रादेशिक सत्ता का काल ( १७६१ से १८४ ) सन्‌ १७६६ से सन्‌ १८६८ तक के इस कालम कस्पनी प्रादेशिक शासक के रूप में रही। सम्राट ((०ए७1॥) के साथ उसने राजसत्ता का उपभोग तो क्रिया परन्तु उसी सत्ता प्रतिदिन कम ही होती गई और अन्त मे उसके व्यापारिक स्वरूप तथा अधिकारों का अस्तित्व ही मिट गया। डे परिणामस्वरूप इस काल में निम्नलिखित एक्ट पास किए गए .-- (१) लाट नाथ का रेश्यूलेटिग एक्ट (सन्‌ १७७३) (२) पिट का इण्डिया एक्ट (सन्‌ १७८४) * (३) चार्टर एक्ट (सन्‌ १७६३): (४) चाटर एक्ट (सन्‌ १८१३)४ (९) चारैर ए्रट (खन्‌ १८३२)५ (६) चाटेर एक्ट (सन्‌ १८५३) (१) लाडं नाथे का रेग्यूले्टिंग एक्ट (सन्‌ १७७३) इस तालिका मे प्रथम सुख्य एक्ट सन्‌. १७७३ का था । सर सी. इलवरं के शब्दों में इस एक्ट के साथ ही “प्रथम बार भारत सरकार के कायां मे 'पालियामेट का हस्तक्ष प प्रत्यत खूप से हुध्रा 1० इस एक्ट का सार इस की निम्नलिखित धाराओं के अध्ययन से भली प्रकार स्पष्ट हो सकता है :-- (ग्र) इस एक्ट के अनुसार यह निश्चय हुआ कि भारत की वार्पिक आय का ब्योरा आय की प्राप्ति के चोदह दिन के अन्दर कोट आफ डाइरेक्टर्स ((१0पघ1६ ०६ 107८८६०7७) इंड के सरकारी कोप (एतत्तु) मे मेज देगी, तथा राजनेतिक श्रौर सेना सम्बन्धी पत्र रादि भी नियुक्त किए गए सेक्रेटरी ऑफ स्टेट (९८76 धाए 0 ऽ४.{€) के पास सेज दिए जाए गे । 2 1,010 10£0195 [২০0012005 4১০0 ০£ 1773, 2 01605100012 4৯00 0£ 1784. 30072 0021651 48060061793. $ 00৩ 005161800০9? 1813, 5 (116 (127८४ 0८६ ०ई 1833, 6 (116 08201 4৯০৮ 06 1853, 4 ^€ [क 4105061066166515005 ०06 8201900556 पाता 05 (০9551970000 0£ 00019, 51150 1167६, ক




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