रामायण - रहस्य [तीसरा भाग] | Ramayan Rahasya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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॥ &% ] हैं। अर्थात्‌ जब हृदय में वैराग्य रूप हनुमान प्रगट होता है तो भोगों की इच्छा का त्याग होकर हृदय में: द अनिच्छा शक्ति बढ़ जाती है । यही अनिच्छा ही वैराग्य- की पूछ है और जब वैराग्य के प्रभाव से साधक का हृदय इच्छा रहित ही रहने लगता है तो उसमें से मोह को उत्पन्न करने वौली विषय-वासना आपसे आप ही क्षयः हो जाया करती है। यही हनुमान द्वारा लंका दहन है। जिसे रामायण में इस प्रकार लिखा है- चौ०-जारा नगर निमिष एक मांहीं । एक विभीषण कर गृह नाहीं ॥ उलट पलट लंका सब जारी। कूदि परा पुनि सिन्धु मञ्चारी॥ वेराग्य रुप हनुमान साधक को आठवाँ यह लाभ पहुं- चाया करता है कि वह साधक को वृति को वहिमुख न होने देकर उसकी वृति को अभ्यास में हो लगाकर अन्तमु ख




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