नवनाटक-निकुंज | Nav Natak Nikunj

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Nav Natak Nikunj by धीरेन्द्र वर्मा - Dheerendra Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न र र नवनाटक-मिङ्ंख কিরে [ कुत्त की ओर संकेत ] 'किशोर--हाँ, वह यही है। . 3 शकुंतत्ञा-[ प्रश्न-सूचक दृष्टि से ] क्‍यों, क्‍या मैं जान सकती हूँ कि आप इसे क्‍यों बेचना चाहते हैं † ह -किरोर-[ गहरी सोसि ठेकर ] इसकी एक लंबी कहानी है । उसे पूछने की आवश्यकता नहीं, यदि आप इसे खरीदना चाहती है तो यह आपकी सेवा मे उपस्थित है । छीजिए । 'शकुंतठा--आपकी कहानी ही मेरे लेने न लेने का कारणदहो | सकती है । आलती--निस्संदेह । ` “` ¦ किशोर--यदि ऐसी बात है, तो सुनिए। [ सोचते हुए ] पिछले मीने की बात है। हका जाङा पड़ रहा था । शुक्त पक्ष ` कीरातथी। चंद्रको शीतर किरणें प्रथ्वीकासारा विषाद ` धो रही थीं ।** ** * * ! 'शकुतछा--इस कहानी में कविता भी है ! [ हास्य | -किशोर-या कविता मे कहानी है । -शक्ुंतछा--[म॒स्कुराकर] क्षमा कीजिए । मैं भूछ गईं थी कि भैष : कवि से बात कर रही हूँ । अच्छा, फिर क्‍या हुआ ? “किशोर---[गंभीर स्वर में] मैं टहलने के लिये एकान्त स्थान में जा . रहा था कि एक ओर यह कुत्ता पढ़ा हुआ अपने जीवन ॥




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