दिगम्बर जैन सिध्दांत दर्पण ए.सी. 4973 | Digamber Jain Sidhant Darpan Ac 4973
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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परन्तु वर्तमान साहिल-प्रसार एक ठेसी शङ्कत खोज हे जो
अ्रन्वेषक खोजी बिद्यानका पारिडिल प्रदर्शन करनेके साथ समाज
को भी समालोचक कोटिमें खींच-ले जाती है। और वहां स्व-
बुद्धि-गम्य तकं-वितर्फां के प्रवा मै श्राद्धिक भावों कौ इति
श्री हो जाती दै। इस प्रकार की खोज से कोई भी व्यक्ति.
रत्नत्रय की सांधना में लगा हो अथवा देव-शास्त्र, गुरु-भक्ति
ओर उनकी पूजा आदि धार्मिक क्रिया-काण्ड में अधिक
रुचिदान बना हो, ऐसा एक भी उदाहरण नहीं मिलेगा।
प्रत्युत उससे रल्नन्नय की विराधना तथा जिन मन्दिरनिर्माण,
बिम्ब प्रतिष्ठा विरोध, मुनियोंमें अभ्द्धा आदि अनेक उदाहरण
उपस्थित हैं । |
इतिहास की खोज भर शासन-मेद का नया मिशन
बतेमान में इतिहास-खोज का एक नया आविष्कार
हो रहा दै। वर्षों समय ओर बहु द्रव्य-साध्य सामप्री तथा
शक्ति का उपयोग इसी ऐतिहासिक खोज में लगाया जा रहा
है। यह खोज-विभाग, एक नया मिशन दै। इस मिशनका
उदेश्य यदी प्रतीत होता है कि जो ्राचायं अथवा शाख
इनके मन्तव्य के बरिरोधी द्यो उन्हें अप्रमाण ठहरा कर
श्रमान्य ठहराया जाय । इसी लस्य के श्चाधार पर अनेकः
आचार्यो को अमान्य ठदराने क बिफल चेष्टाएं भी की गई
है । अमान्य ठदराने की यष्ट नीति रक्ली गह दे कि अमुक
अआचायं अमुक के पीछे हुए ह अथवा अमुक सदी मे हुये ई ।
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