सांख्यिकी के सरल सिद्धान्त | Sankhyiki Ke Saral Siddhant
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
418
श्रेणी :
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No Information available about विशन नारायण अस्थाना - Vishan Narayan Asthana
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)॥\ सांख्यिकी के सरल सिद्धान्त
जब हम अन्य साल्यिवीय विधियो द्वारा सामग्री वा নিবঘন (110603:0180100)
करते हैँ, तब गणित का ज्ञान आवश्यक हो जाता है । परन्तु यह ध्यान रखना चाहिए
कि साह्यिकी गणित नही है, इसमें गणितीय विधियों का उपयोग होता है। गणित
एक प्रकार की तके-प्रणालो है जिसका साह्यिकी में उपयोग किया जा सकता है ओर
किया जाता है । इस कारण यह आइचर्य का विषय नही है कि कुछ विद्वान सासख्यिक
आरम्म में गणितिज्ञ थे।
साह्यिकी ओर अयंज्ञास्त्र--अयंशास्त्र ओर सास्यिकी के सवध वी घनिष्टता
इससे समझी जा सकती है कि आजकल साल्यिकी के विना बर्वझास्त्र का ज्ञान अधूरा
समझा णाता है। आर्थिक सिद्धात के क्षेत्र में प्रगति होने पर इस बात का अनुभव किया
गया कि आशिक नियमो का सत्यापन किया जाय | अर्य्षास्त्र के कई नियम ऐसे थे
जो निगमन तक्क-प्रणाली द्वारा निकाले गए थे और कई अयेशास्री आायमन-विधि कौ
अर्थशास्त्र के लिए अनुपयुक्त मानते थे। परन्तु क्सी भी विज्ञान की प्रगति के लिए
यह् आवश्यक है कि वह तथ्यों के समीप रहे | फिर, प्रत्येक विज्ञान वे' आधारतत्व
(051प] ९8) वास्तविकता से लिये जाने चाहिए 1 इस प्रकार हमं पते है
कि अयंश्ास्त्र में आधारतत्व निश्चित करने और नियमो दा सत्यापन करने के लिए
तथ्यों का अध्ययन बना आवश्यक हो जाता है। इसके लिए साल्यिकीय विधियाँ
सबसे उपयुक्त हैँ क्योकि अश्ास्त्री का अध्ययन विषय मानच-व्यवहार है ४ बोई
अयथशास्त्री प्रयोगशाला में वैठ कर अन्य प्रतिकारकों (८1018) को नियत्रित
करके किसी एक प्रतिकारक का प्रभाव नही जान सक्ता । उसे मानव व्यवहार का
अध्ययन करना पडता है जो बहुत जटिल कारणो पर निमेर रहता है । कैवल
साह्यिकीय विधियाँ ही ऐसी है जिनके द्वारा मानव व्यवहार का उसकी सम्पूर्णता में
अध्ययन क्या जा सकता है। यह तो हुआ आविक सिद्धान्ता वा सबंध | परन्तु
जब हम अयंशास्त्र के व्यवह्यरिक प्रक्ष पर विचार करते हूँ तो साल्यिकीय विधियाँ
अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाती है। आथिक नीतियों और वारयों का अर्थव्यवस्था पर
भया प्रभाव पड़ता है, यह जानने के लिए सास्यिकीय विधियों वा उपयोग करने के
अतिरिक्त कोई उपाय नही है। सामाजिक विज्ञानी में (और भौतिक विज्ञानों में भी)
प्रत्येक अन्वेषक को घटनाओ का निरौक्षण करना पडता है कौर उन्हें नापना होता
है। इसलिए यह आवश्यक है कि वह जानकारी प्राप्त करने की, उसका साख्यिकीय
रूप से प्रतिपादव करने की, और अन्त में, उसे इस प्रकार प्रस्तुत बरने की जिससे घटना
के सवमसे भहत्वपूर्ण अम्मी पर प्रकाश पड़े, नवीनतम. प्रदित्तियो, को, जाने, , काजकद
अदस्व कै सिद्धान्तो बौर उनके व्यवहार में सांख्यिकीय विधियों वा अधिकाधिक
मावा में उपयोग किया जाता है। यहाँत्तक कि जयंशास्त्र का एक नया विषय अर्थमिति
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