श्री भक्तकमाल | Shri Bhaktmaal

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Shri Bhaktmaal by सीताराम शरण भगवान प्रसाद - Seetaram Sharan Bhagvan Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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86 ७ |०३५५॥३_ ३++895,6+०9%३०॥ ३०३ ८३०३ #०३०३०-ह ०३०३ ०0-०$००३००३००क +॥ উস লাউ ७०३००१०३९०३००७००॥०-॥ ३००३००३०क সউলাউনউীপউদকউ বা ३०३०० है 7३ हन्न्क ॥ চর कसी |: श्री अयोध्यासरयुभ्यां नमः ! ३ 4 4 श्रीसीताराम एनी ओम्‌ नमो भगवते हनुमते श्रीरामदूताय 1 श्रीमते रामानन्दाय नमः ॥ अथ श्रीमक्तमाल सटीक | (तथा सतिलक) क्र প্রি दो० भक्त, भक्ति, भगवन्त, गुरु, चतुर नाम वु एक। इनके पद वंदन कयि, नाशि विध्न अनेक ॥ ৩০৯৩৮ अथ टीकाकर्ता श्रीप्रियादासजी का मंगलाचरण तथा आज्ञानिरुपण । | ( १) कवित्त ( ८४२ ) महाप्रभु कष्णचेतन्य , मनहर्नज के चरण को ध्यान मेरे, नाममुख गाशये। ताही समय नाभाजू ने आज्ञा दई, लई धारि, धका विस्तारि भक्षमाल की सुनाइये ॥ कीजिये कवित्त बंद छंद अति प्यारो लगे, जगे जगमाहि, काहे, वाणी बिरिमाइंये । जानं निजमति, एप सुन्यो भागवत शुक दुमनि प्रवेश कियो, पेसेद काश्ये ॥ 9 ॥ (६२८) , अथ ` भक्तिसधास्वाद” वार्तिक तिलक । „ ॐ नमो भगवते इल॒मते श्रीरामदूताय । श्रीषारुशीलादव्यै नमः। =वन्कलादन्यं नमः । शरीचग्रअलीदेन्ये नमः ॥ श्रीर्यामनायिकये नमः । श्रीईंसकलाये नमः ॥ ( श्लोक ) श्यं प्रत्रजंतमनुपेत मपेतक्ृत्यं ই সি +----- তি




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