रस - सिद्धान्त स्वरुप विश्लेषण | Ras Sidhant Svarup Vishleshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
498
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्र
का महृत्व स्वीकार किया बया है।
निष्पत्ति' है सम्दात रखते बासे 'साथारणीकरणा-प्विद्वास्ट' का दिचार
पृषक कप से चौदे प्रध्याय रिदा पया ई जिस संहत के समस्त प्रादा्मों
के मर्तों का गिवेषन प्रौर सार प्रस्तुत करने के साथ ही प्राभुनिक हिस्दी मराठी
तथा प्र॑ग्रेज़ों सेखकों के बियारों का घ्ापार प्रहण करते हुए प्राीत प्राचायों के
मठ को उचित छूप में प्स्तुत करते का प्रदत्त किया पया है। प्रतेक हिन्दी
मराठी-सेलनों के साथारणीरूरस-पिडास्त पर किये पए धारोपों का अष्शय
भी किया पया है! 'सावारशीकरस' के साष-साप ठादाहम्य सिटाम्' की
प्रंप्रडी हिरी छुपा मशाठौ-सेकरकों क्रो इविठपों हुुग विवेष को प्यान यें
रखकर जूटिपूर्भता सिंध की बई है। घुफ्सडी हारा कवित “मध्यम कोटि की
रातुगूति' को एग्हीके एप्यों के धापार पर रखामास प्िद्ध किया यया है।
शाबारसणपीक रण के सम्बन्ध में मेरे मिप्कर्प इस प्रकार हैं
१ छाजारसीकरण रसास्याद के लिए प्रिमा त्विह चिण्तु षड
रबास््वाद करा दैजे को पनिषा्प पतं नही है! साभारस्पीकरस के बाद भी रस
मे प्राकर बोविक तृप्ति-माज ही सहती है, जै पर्तों की प्रष्योक्तियों सै
होतो है।
२ शाबारणीकरग्प का प्र्थ समस्त छम्दग्दों का परिहार है विश्तु कैबल
इसी रूप में दि उम्दरिपत भाव विसी एक के ही होकर गहों रह जाते बल्कि
सबके हारा पराझ् बत जाते हैं। इसमे विभाभादि समी का धाषा रणीकरण होता
है। प्रतः ठसके दो धर्ष हो सकते हैं. (६) ইম-ধ্যল লাল घोर विशेष शम्बग्धों
है; ब्लात की শীশলা-নিতি 06पा (६) कास्प प्रण्णित গাছ ক্ষা धादाएच झप से
छभी एद्दापों के हाए प्रतुगद होता।
३ छांजारगौकरस पं प्यक्ति নিঘিহেক্জা का पृधतया घमाब गईी द्वीठा
दरिक बह चैेतता दे: विधी ऐले गइरे स्वर में प्वश्वित हो जाती है बद्टां रह
कर द्रषा-प्रवाह में बाबक नहीं होती सहृ/श हो जाती है घौर घोदपूर्षक हमरग
धारि वी घाँति ही हपल्बित हो+र रह बी शहायता करती है ।
४ सापारणीरएण के प्रादे ताह्मम्य बी कल्वता লী পক্ষ बदिताइयों
সী হাত हैं। बल्युता ठादाहप्य शं बागकर छाजारगीक्रटटाजनित बजीजुत
एकाप्रता दा प्रबष्ट स्तगानुमृति-पात ही रख ধী उपत्पिठिशारिणी मातती
चाहिए प्रप्द प्जुमृति ही रख है । हाल को ऊपरी सतह को धदवर बाम्प
হর ই ঘদশশিটিলে নোনুশুশি হা অনা ইশা € (লে শী িতো্তলেলবত্রাণ
ছখীই & কি बढ़ दौदिक स्यायारों व डप्रणाम वे हाए। हमे प्म्तसु सो शाठा है।
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