अच्छी आदतें डालने की शिक्षा | Achchhi Adaten Dalne Ki Shiksha

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Achchhi Adaten Dalne Ki Shiksha by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१५ रख दिया जाय तो भी बहँसे कोई विद्वान्‌ बनकर नहीं निकल सकता । जो मनुष्य सदा हिचकता रहता हैं ओर इसी सोच विचारम्‌ रहता हैं कि इन दो चीजोमेंसे पहले इसे करूँ या उसे, वह फिसीको भी नहीं कर सकता । वह मनुष्य संसारमें कोई भी शुभ या महान्‌ काम नहीं कर सकता जो एक 'कामका इरादा करता है परंतु जहाँ किसी मित्र सम्बधीने उसके खिलाफ कोई बात कही तो तत्काल उसे छोड़ त्रटता हैं; अथवा जिसकी कोई खास अपनी राय नहीं हैँ, जिसकी कभी कुछ राय हैं कभी कुछ राय हैं; जो कभी यह विचार करता है, कभी वह विचार करता है; जिसका चित्त सदा डावार्ड|ल और चंचरु रहत! हे । आपने देखा होगा कि अकसर बड बड़ी इमारतों पर एक चिड़िया बनी रहती है| यह वायुको बताती रहती है और चारों तरफ घूमती रहती हैं। ठीक ऐसी ही हालत उस मनुष्यकी है | उसके विचार कभी स्थिर नहीं होते। ऐसा मनुष्य कभी उन्नाति नहीं कर सकता | वह अपनी जगहसे एक पाँव भी आगे नहीं बढ़ सकता | वह जहाँका तहाँ रह जायगा, यह भी कठिन हैं । कारण कि संसारमें दो ही अवस्था हैं-या तो आगे बढ़ना या पीछे हटना । जो मनुष्य आग नहीं बढ़ता वह ।नियमसे पीछे हट जायगा । संसारमें केवछ वही मनुष्य उन्नति कर सकता हैं आर वही सफलता प्राप्त कर सकता है जो किसी काम पर उसके करनेसे पहले अच्छी तरह विचार लेता है, फिर उसका पक्का इरादा करता हैं ओर पीछे घीरता और वीरताके साथ उसको करना प्रारम्भ कर देता है । अब चांहे कितनी ही आपत्तिर्यो अव और कितनी ही कठिनाइयों उपस्थित हों, परंतु वह घीर पीर दृदहसकल्पी अपने मार्गसे तनिक भी चलढायमान नहीं होता | सब॒कों वीरतासे रोदते




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