झुरमुट | Jhurmut

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Jhurmut by नलिन - Nalin

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आग डस निस्द शिकारिन को अपने कंधों पर डाल) उस की ठ०्डी कलाई गर्दन के सामने ला, उसे दग्र दाथसे थाम, बाँय से उसकी गोल-गोल चिकनी स्वस्थ जघाओं को कस, वह वनचारी शकर की तरह सती को आग को লহদ্ ले चला | च ৯ (4 ए ৯০ भ< * >: ৯০ वनचारी बहुत देर तक उस बेहोश जवानी को अपने वक्ष के सहारे बैठाये रहा ! शरीर और आग की गर्मी से उस में चतना आगई, पर जैसे सपने में हो | फटी-फटो आंखों से उसने अपने आप को देखा, .बनचारी को देखा, और सामने सॉप-सी छहराती आग को देखा.। ২১ “ तुम ,कौन १--और वह ...«« वह भयंकर रीछ ? ”? शिकारिन को पुतलियों में भयमिश्रित आशेका छटपटाई । “८ रीछ तो तभी चोट खा कर भाग गया। ?” बनचारी ने.डस का भय दूर करना चाहा । । “ तुम जँधेरे में भी निशाना... १ ”” उस की पुतयियों में विस्मयकरी चमक और आनन्द की मुसकान खिल उठी। ८८ तुम्हारी चीख सुन कर मैंन एक जलती लकड़ी रीछ को मारी । चीक्तार करते हुए वह ऐसा भागा कि अब,..। ४ आग से रीछ भाग गया १ . “ आग से सब पश्चु डरते हैं | ?? «“ জল নহ্য डरते हैं | ” ८६ टा । 99 “४ भेड़िय भी १ # दाह %




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