इटली की स्वाधीनता | Itali Ki Swadhinata

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Itali Ki Swadhinata  by नंदकुमार देव - Nandkumar Dev

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १० ) है | অল ५०००,००००००८ पोण्ड है । इटली का सुबण- भरर ५८००००० है । सादिक श्रीसत < ४२३० पौण्ड का सुवणं निकलता है । शिक्ा--थारतवषं से कहीं छोरी बस्ती होरे पर सी भारत- वषं के समान वहां पर शिक्षा का अभाव नहीं है । जिस अनिवाय्य ओर सुफ़ शिक्षा का यहां प्रचार कराने के लिये स्वर्गीय महात्मा गोखले थक गये थे, वहां उसी सुरू ओर अनिवार्य शिक्षा का सरकार की ओर से प्रबन्ध है | वहां पर शिक्षा का कितना प्रचार है इसका पाठक केवल इतने से ही अनुमान कर ले कि वहां २१ विश्वविद्यालय स्थापित हैं । नेपल्स का विश्वविद्यालय बहुत बड़ा है। इसके अतिरिक्त खनिज, कृषि, व्यापार, शिल्पादि के अनेक विद्यालय हैं। धर्म --इटालियन सरकार का धर्म रोमन केथोलिक है। परन्तु सरकार प्रजा के धमं मै हस्तक्षेप नदीं करती है । सभी धर्मावलम्बियों को धामिक स्वतन्त्रता प्राप्त है । जब रोम साम्राज्य खूब चढ़ा-बढ़ा हुआ था, तब वहां ईसाई घम का प्रचार होने र्गा था । परन्तु वहां के सर्वलाधारण लोग ईसाई मत के बड़े विपक्ष में थे | ईसाइयों को वहां अपने धमंप्रचार में बड़ी दिकतों से सामना करना पडा था। यहां तक कि सन्‌ ६५ में ईसाई धर्म के आचार्य सन्‍्तपाल का सिर काट लिया गया था । परन्तु काल की क्रमोन्नति के साथ साथ, उसी रोम में पोप का राज्य हो गया था | उसी रोम में सन्‍्तपाल के अनुयायी एक दिन समस्त यूरोप के स्वामी होगयें थे । रोम के पोप के कारण इटत्ती-निवासियों को किस तरह से मायाजाल में फँसना पड़ा था, उनकी केसी दुर्गति हुई थी और फिर उनका किस




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