मनोविज्ञान | Psychology

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Psychology by प्रोफैसर सुधाकर - Profesor Sudhakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रस्तावना (4 दृष्टिपात करनी होगी। उच्च शिक्षा और उच्च को्े के शिक्षकों की सत्ता ही जातीय उन्नाति की बोधक होती है। परन्तु আছি शिक्षा का मूल उदेदय चरित्र सङ्गटन स्वीकार कर लिया जावे तो चरित्र सट्डंदन के लिये मनोविज्ञान का अध्ययन ” अत्यन्त आवश्यक प्रतीत होता है। मानवीय चरित्र, माजुषी विचारों, भावनाओं, तथा सड्डल्पों का फल है परन्तु इन सब मानसिक व्यापारों का क्रमबद्ध विचार मनों विज्ञान द्वारा ही प्राप्त होता हे । पक उच्चकोटि के शिक्षक के लिये भी यह अत्यन्त आवश्यक है कि वह मनोविज्ञान का पण्डित हो। जो काये ইত शरीर- विद्या से लेता है वही कार्य शिक्षक मनोविज्ञान से ग्रहण करता है। मनोविज्ञान के नियमों की सहायता से अध्यापक बच्चों का शिक्षण सली प्रकार कर सकता है। शिक्षाविज्ञान का आधार मनोविज्ञान को हौ समक्ना चाहिये । इस स्थापना... की सत्यता को पाश्चात्य देशों में आजकल भलर प्रकार अनुभवे किया जा रहा है। इसी लिये वहां के शिक्षणालयों में अध्य/पकों के लिये यह आवश्यक समझा जाता है कि वे मनोविज्ञान के सिद्धान्तों से मली प्रकार परिचित हों। उपरोक्त विचार से यह भी सिद्ध होता है कि मनोविज्ञान का अध्ययन प्रत्यके माता ओर पिता के लिये লী परम आवश्यक दै क्योकि बाल्यावस्था में अपने बच्चों का पालन पोषण और शिक्षण करना उन्हीं के हाथों में रहता है। माता




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