श्री वेदानुवचन | Sree Vedanuvachan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
508
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)~ˆ भूमिका, &
स्फुट वा. स्पष्ट किया ज्ञाय जिस स यह प्रथ सत्यके
निङासुश्रों को अधिक उपयोगी दे सके ।
.' पूर्व सेस्करण फेचल चंदों से भ्रकाशित हुआ था अर्थात
किसी व्यक्ति विशेष के विशेष धन से छुपने नहीं पाया था,
इस लिये केवल लागत-सूल्य पर वितरण किया गया था।
न किसी प्रकार की आर्थिक आय के प्रिचार पर दृष्टि थी
और न किसी चंदा-दाता ने, सिंचाय म'स्टर अमीरजंद के,
उसको बेचा था, यरन जितनी-जितनी प्रतिय उनके र्वे
की रकम ,( खखज्या ) के अ्रतुसार चंदा दाताओं के भाभ में
उन सबने, बेचने के स्थान पर, उन्दें अधिकारी
महदादुमालो मे वितस्ण कर दिया था । ऊेचल मास्टर
अमौरदेद के भाग में जितनी प्रतियों आईं थीं, उन्दों ने उन
मद्याजुभावो के लिये देवने को रख छोड़ी थीं कि जो सूर्य
व्यय करके और किसी स मुफ्त कर नहीं किताइ पढ़ना
चादते दै ! तौ भी उन्न केवल लागत मूल्यपर दी कापिर्ो
केची थी, भौर आधी के लगमग कापियों भेंट के रूप में
अधिकारी जिलज्लाखुओं में भी बितरण की था । इस लिये
अगत संस्करण के सिये इख प्रथ का ' केर फंड नियत
देने न पायाः । जव पूवे संस्करण की सब प्रतिरथो समाप्त
दो गंई, सत्य के लिज्ञाखुओं के भीतर इल की चाह फी
आग सड़क 'डठी, ओर पराथनाओं पर प्रार्थनाएँ आनी आरंस
दोगंई। ( बरन् कुछ मददीनों के भौतर-भीतर जब क्ग सग
तीन -सौ नई प्राधनाएँ प्राप्त हुई और प्रेथामित्रापियों की
-निरंतर 'प्रेरणाओ -औररे पत्रों ने नाक में दम कर दिया)
तो लेखक को. और सब कामों से विरत द्वोना पड़ा औ
कापने. संस्मानर्नायथ गुददेव पूज्यपाद स्वामी राम की उर्दू
“कुरलेयात | के, भारी काम को बीच में छोड़ कर पदले इधर
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