स्वामी श्रद्धानन्द की हत्या और इस्लाम की शिक्षा | Swami Shraddhanand Ki Hatya Aur Islam Ki Shiksha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १७ >) मीछूवी घुदृम्मद्‌ अछी ने इस आयत पर टिप्पणी चढ़ाने के पूर्व इसके शाने नजूल पर कुछ विचार नहीं किया और न इसी ओर घ्यानं दिया क्रि आयत इस्लामी चिद्वानों के सिद्धान्ता- जउसार मनसूख है अर्थात्‌ इस आयत की आज्ञा उठा दी गई। अतः इस्छाम का यह सिद्धन्त नदीं रहा अन्यधा खय॑ इज़रत घुदम्मद कथो अस्वौ पर इर्छाम स्वीकार करने के लिये वरुकष्र करते | अब देखिये इस आयत के नालिख़ अर्थात्‌ इसकी आज्ञा को रद्‌ करनेयाली जो आयतें हैं उनमे क्या भाव झलकते हैं। तफ्तीर इसेनी का कर्चा भी लिखता है।-+ हुक्म ई आयत व आयत क़ताल मनसूख अस्त अज्ञ तमाम फबायले अरब जुज़दान इस्ताम कवुल नः चूँद । अथोत्‌ इस आयत की आज्ञा कताछ ( युद्ध) की आज्ञा के साथ से मनसुत्र है। अरब के समस्त परिवारों से सिवाय इस्लाम ने ओर क स्वीकार नदी क्विया गया। इत्यादि । इस आयत के नाक्तिख कनिपय आशत वततखाई जाती है वथाः-- पया ऐथ्योहल्लजीन आमिन्‌' क़ातछुछज़ीन 'यलूनकुम मिच्नलफुफ्फारे चलयजेदू फ्रीकृत गिरूज़तन व आलेसू अन्नछाह मअलमुचकीन |” । स्वय मोराना सुदम्मदं भरी इख आयत का अम्रेजी अलु- याद्‌ इख प्रकार, करते हैं । 180১ ০5 ঘ.0 0১811691276 01089 ০1 65 80.19811%828 9 21606960৮০8 श्रत्‌ 126. 6190 77 ग উটের [107008398, रे




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