एकोत्तरशती | Ekottarshati
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
432
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बड़ा अन्तर है, लेकिन आवेग, अनुभूति और परंपरा के क्षेत्र में दोनों का
संबंध अत्यस्त घनिष्ठ है। अनुवादों की सहायता से प्रायः सभी भारतीय
भाषाओं के पाठक देवनागरी अक्षरों में प्रकाशित रवीन्द्रनाथ की मौलिक
रचनाओं के सौन्दर्य और अभिव्यंजना को ठीक-ठीक परखने में समर्थ
हो सकेंगे। बाद में जब इन कविताओं का अनुवाद संसार की अन्य
भाषाओं में होगा, तब, ऐसी आशा की जा सकती है कि, अब तक
के संग्रहों और अनुवादों से वे अधिक प्रतिनिधि-मूलक होंगी और
रवीन्द्रनाथ को कुछ अधिक समझने मे सहायक सिद्ध होगी ।
१०१ की संख्या कुछ खास पवित्र नहीं है। अगर कोई पाठक
यह् कहे कि यह संख्या दुगुनी भी कर दी जाय तो इसमें केवल उत्कृष्ट
रचनाएँ ही रहेगी, तो कम-से-कम मेँ उस वक्तव्य को गर्त नहीं
मानूंगा। और में इस आक्षेप को भी स्वीकार कर लूंगा कि उस
संग्रह में कुछ ऐसी कविताएँ वाद में पड़ गई हें जो संग्रह की कविताओं
से और भी अधिक अच्छी नहीं तो कम-से-कम उन-जैसी अच्छी तो
हैं ही। इसमें मतभेद की गुंजाइश वरावर बनी रहेगी कि किसी
महान कवि की कौन-सी एक सौ या दो सौ कविताएँ उत्कृष्ट हें।
वैसे इस संग्रह के बारे में दो वातों का दावा में अवश्य करूँगा । इसमें
कोई भी ऐसी कविता नहीं है जो प्रथम कोटि की न हो। और यह भी
कि संग्रह प्रतिनिधि-मूलक है और इसमें इस बात का ध्यान रखा
गया है कि रवीन्द्रनाथ की भिन्न भिन्न शैलियों और मनोदशाओं का
' परिचय देने वाली कुछ कविताएं नमूने के तौर पर आ जायें। लेकिन
एक बात की ओर ध्यान दिलाना आवश्यक है कि गीत जान-वूझ-कर
इस संग्रह से छोड़ दिए गए हैं। इसमें कोई सन्देह नहीं कि रवीन्द्रनाथ
के संगीत-परक गीतों में उनके कुछ उत्कृष्ट काव्य भी हें, लेकिन
गीतों का एकं संग्रह अलग से निकालने की योजना है, इसलिए इस
संग्रह में उन्हें छोड़ देना ही ठीक समझा गया है।
इस संग्रह का प्रारंभ 'नि्लेरेर स्वप्नभंग' से हुआ है जिसकी
चर्चा हम कर चुके हैं। रवीन्द्रनाथ ने इस कविता को अपनी ही काव्य-
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