एक लोटा पानी | Ek Lota Paani
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्रीपारसनाथ सरस्वती - Shreeparasnath Saraswati
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१८ एक लोटा पनी
मक्त--माया बन रही है परमात्मा और परमात्मा बन रहा
जीवात्मा | हाय, अव कैसे कल्यान होगा |
इतना केकर वह कट-पुटकर रोने लगा । उसके नयं
भिराम नयनोंसे मोती-मगाछाओंका निर्माण होने छगा } राजाने निच
किया--- लड़का पागल है |
उतरकर राजाने उस लड़केको अपने पीछे घोड़ेपर बैठाकर अप
महलकी राह टी ।
(३)
राजधानीके बाहर, पूर्वमेँं काछी माताके मन्दिरपर আও
मारी भीड़ ह्यो रही है । चार पण्डित प्रातःकाल्से हवन कर रं
है । दोपहरीके एक बजे एका सुन्दर छड़केका बलिदान होगा |
ल्डके-ख्डकी नरनारी समी आ रहे हैं | पुलिस सबको गो
चक्करमें बिठा रही है । पुलिस कहती थी--“शोर দল करो, राजा
साहब पधार रहे है ।›
ठीक बारह बजे एक वंद पालकी आयी | हाथमे नंगी तद्
लिये राजा साहब उतरे, हाथ-पैर बभा एक ठडका भी पाठकीसे
उतारा गया |
दोनों आकर हृवनके पास--काछी माताके सामने खड़े हो
गये | छोगोंने उन दोनोंकों देखा । मास्टर दत्तात्रेयकों देख सब
चकित जर सम्मोहित हो गये | ब्रह्मा, विष्णु और शझ्टर---तीनोंके
आशीर्वादसे भक्तजीका जन्म हुआ था | माताएँ कहने ढर्गीं--भगर
भेरा बच्चा होता तो राजाकी दाढ़ीमें दियासलाई ढगा देती । दब
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