षटखंडागम | Shatkhandagam
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
61 MB
कुल पष्ठ :
1201
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)65458
9 ह
* शोध प्रतिष्ठान
চক রা মি সি সপ সি স্পা = ~
णले त भवन তান
(+ टेल्लं (হট द ৯৯৯২২ 2 1
सत्परूपणाके अन्तर्म प्रशस्त
অনন্ত -सेद्धान्तकी प्रात हस्तङिखित प्रतेयोंमे सप्ररूपणा वेवरणके अन्तम नेन्न कनाडु
पाठ पाया जाता है ---
सततशादभावनद् पावनभोगनियोग वाकातेय चित्तवृत्तियरूविं नख्ङदन गरूप ॒त्तडिदं गजं
ष्रिपोगेज सोच्वतयद्मणदिसिद्धातसुनीदचन्नुद्य बुधकेरवपडमंडन सतणमेणोसुद्गुणयणक भेदुवुदि
अनन्तनोन्त' वाक्कांतेय चित्ततल्लीय पद॒र्षिण 'दर्षहुघाकि 'हत्सरोजांतररागरजिददिन कुरुभूषण “*दिव्यसेद्धांस्त-
मुनीदृजुब्बलयशोजगमतीर्थमछर्र सततकालफायमत्सिश्चरित दिनदि दिनक्के चीय॑ तउतिदंदुदय হিম
इपैमेयो छांतवविद्वमोददाद तवे कंतु मुन्त॒गिदे सश्वरित ईंलछचन्द्रदेवसैद्धान्तमुनीन्द्ररुर्जितयशोज्वकरजंगमतीर्य-
मर
मैंने यह कनाड़ी पाठ अपने सहयोगी मित्र डाक्टर ए. एन. उपाध्याय प्रोफेसर राजाराम
कालेज कोल्हापुर, जेनकी मातृभाषा भी कनाडी है, के पास संशोधनाय भेजा था | उन्होंने, यह-
कार्य अपने काठेजके कनाडी भाषाके प्रोफेसर श्री. के. जी. कुंदनगार महोदयके द्वारा करा कर
मेरे पास भेजनेकी कृपा की । इसप्रकार जो संशो घेत कनाड़ी पाठ और उसका अलुवाद. मुद्ते
प्राप्त हुआ, वह नेन्न प्रकार है। पाठक देखेंगे के उक्त पाठ परसे नेन्न कनाड़ी पथ सुसंशोधित-
कर निकालनेम सशोधकोंने कितना अधिक प रेश्रम किया है ।
१
सततस्ञातमावनेय पावनभोगनियोग € वाणि ) वा-
काँतेय चिच्ठवृत्तियोकवि नक ( वि गढ मोहनां ) गरू-
पं तकेद् गड अचुरपकजशोमितपद्मणंद्सि-
छाल्तमुनीन्क्चचब्नजुदुय शुघकैरवंडसडनस् | ¶ ॥
य
লা बुद्धिगे चद्वनंते था-
-
जांतररागरजिवमनं कुलभूषणदिब्यसेब्यसै-
द्वांतमुनीन्द्ररूजितयशोज्वकछजगमर्तार्थकदपर ॥ २ ॥
२ प्राप्त अतियोंमें इस अशस्तिमें अनेक पाठमेद पाये जाते हैं। यहां पर सहारनपुरकी - अतिके-अलपार:
पाठ रखा गया हैं जिसका मिलान हमें वौस्सेवा सदिरके अधिष्ठाता प. जुगछकिशोरजी पुख्तारके.दारा आघ होः
पका | केवछ हमारी अ. प्रतिमें जो अधिक पाठ पाये जाते हैं वे टिप्पणमें दियेगये 1 २ अनन्तस्ववोन्त-
ই ) ४ षत् । ५ दिव्यसेन्य । ६ तौ्ेंदमहयरस्सें | ७ महरुदरू।
~=
User Reviews
No Reviews | Add Yours...