गृह विज्ञानं १९३९ | Grih Vigyan 1939
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
83
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ८
० आई ५ क =, ह
उनमें मेल भर जाता है। मेलमें विषेले कीटाणु होते हैं और
यदी कीटारएु भोजन या पानी के साथ हमारे पेट में पहुँचते हे
इससे बीमारी होती है ।
नाखुनों की सफ़ाई के लिए उन्हें घोना और कपड़े से साफ
करना चाहिए। नाखनों के बढ़ने पर उन्हें कटवा देन चाहिए ।
दाँतों से नाखनों को काटने या नाख़नों से दाँत कुरंदन की
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आदत भी गंदी हैं । इससे भी नाखनों का मेल पेट मे पहुंचता
है| अँगुलियों के पोरए भी इस भद्दो आदत स खराब हा
जाते हैं |
प्रश्न
१--बाल्तों को साफ़ रखना क्यों ज़रूरी है?
२--बालों की सफ़ाई के लिए क्या करना चाहिए ओर बार्लों में केस
तेल डालना चाहिए ?
३--नख़ूनों के गंदा रखने से क्या हानि हे !
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तीसरा पाठ
स्नान
हम बता चुके हैं कि नीरोग रहने के लिए शरीर को साफ़
रखने की ज़रूरत है । शरीर की सफाई कं लिए रोज स्नान करना
ज़रूरी है। स्नान करने से शरीर का मैल दूर हे जाता है और
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