गृह विज्ञानं १९३९ | Grih Vigyan 1939

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Grih Vigyan 1939 by श्रीयुत सत्यव्रत - Shriyut Satyvrat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ८ ० आई ५ क =, ह उनमें मेल भर जाता है। मेलमें विषेले कीटाणु होते हैं और यदी कीटारएु भोजन या पानी के साथ हमारे पेट में पहुँचते हे इससे बीमारी होती है । नाखुनों की सफ़ाई के लिए उन्हें घोना और कपड़े से साफ करना चाहिए। नाखनों के बढ़ने पर उन्हें कटवा देन चाहिए । दाँतों से नाखनों को काटने या नाख़नों से दाँत कुरंदन की ^ + ¢ नः ५ ~ ৬১৯ न ॥ ০ +” आदत भी गंदी हैं । इससे भी नाखनों का मेल पेट मे पहुंचता है| अँगुलियों के पोरए भी इस भद्दो आदत स खराब हा जाते हैं | प्रश्न १--बाल्तों को साफ़ रखना क्यों ज़रूरी है? २--बालों की सफ़ाई के लिए क्या करना चाहिए ओर बार्लों में केस तेल डालना चाहिए ? ३--नख़ूनों के गंदा रखने से क्या हानि हे ! ০০ तीसरा पाठ स्नान हम बता चुके हैं कि नीरोग रहने के लिए शरीर को साफ़ रखने की ज़रूरत है । शरीर की सफाई कं लिए रोज स्नान करना ज़रूरी है। स्नान करने से शरीर का मैल दूर हे जाता है और




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