प्रबल-परीक्षा | Praval-Pariccha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रबल-परीक्षा ६ € এজাজ ও ৬ হাটা) ক ৪ अतिक @ ® ति 9 @ किव # @ किक न 8 চালাও 9 च नवकं ॥ ও বার ও 2 হি 8 मो ननि 8 ॐ वकि श्रौ तोयो $ जो किन @ @ छः = नो के ¢ भ कमं 7 @ जतन & ২ ওরা রী ने अपने एक निजी काम से मुभे रूपनगर भेजा था । देरबाह---(भ्राइचयें प्रकट करते हुये)--रूपनगर ! रूपनगर उन्होने तुम्हे क्‍या करने के लिये मेजा था ” श्र खासकर तुम्ही को क्यो भेजा गया ? मुरादन--सरकार ! उन्होने एक बूत वी सच्चाई की जाँच करने के लिये मुझे भेजा था और मुझ ही को उन्होने इसलिये भेजा, क्योकि मेरे बेटे की वहाँ पर कपडे की दुकान है और में वहाँ की हरएक बात से वाकिफ हूँ । गरेरशाह--महाराज साहब ने तुम्हारी माफत किस बात की सच्चाई की जाँच कराई है, जरा बताओ तो मुरादन । मुरादन---इतना ही कि रूपनगर की बडी राजकुमारी बडी खूबसूरत औरत है ! शेरशाहु-- तो तुमने मालूम करके उन्हे क्या बताया ? मरादन--यही कि उसके बराबर हसीन दुनियाँ के परदे पर भी कोई नही है। देरशाह--क्या वाकई वह ऐसी खूबसूरत है ? मुरादन---खुदा कसम हुजूर, मैने ऐसी खूबसूरत झऔरत दूसरी সাজ तक नही देखी । देरशाह--क्या वह शाहजादियो से भी ज्यादा हसीन है ? मुरादन--बैशक सरकार * उनसे कही ज्यादे । दे रकछाह--क्या आमेर महाराज साहब,उस पर जी-जान से फिदा हैं ! मुरादन--मुझसे उसकी खूबसूरती की ताईद हो जाने पर तो वे जैसे मजनू ही बन गये है, सरकार ! वे सुभे वहाँ फिर भेजना चाहते हैं। रोरशाहु--सूश्रा डोरा डालने, क्यो ? मुरादन--जी सरकार ! “হীহহীই-ছু ! ললং বাভজ্তুন ই ক্তি उन्होने इस राज को अपने दिली




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